Sultan of Delhi: मिलन लुथरिया की 'सुल्तान ऑफ दिल्ली' का बोलबाला दर्शकों के बीच काफी है, जो उसे देखने के लिए काफी उत्साहित हैं। साल 1962 में स्थापित, यह दर्शकों को दिल्ली में साज़िश और सत्ता संघर्ष की दुनिया में ले जाती है। 'सुल्तान ऑफ दिल्ली' को जो चीज अलग करती है, वह है इसकी अविश्वसनीय गहराई समझने की क्षमता।
हर एपिसोड भावनाओं और कथानक में उतार-चढ़ाव का एक रोलर कोस्टर है, जो दर्शकों को अपनी सीटों से बांधे रखता है। लुथरिया ने यह व्यक्त किया, 'सुल्तान ऑफ दिल्ली' महत्वाकांक्षा, साज़िश और शक्ति की उथल-पुथल भरी दुनिया में एक भावुक यात्रा है।
उन्होंने कहा, एक कहानीकार के रूप में, मेरा लक्ष्य था हर मिनट नाटक, रहस्य और आश्चर्य से भरा हो। मैं परिणाम से रोमांचित हूं। पात्र इस कहानी का दिल हैं, जिन्हें असाधारण कलाकारों द्वारा जीवंत किया गया है। मेरा प्रयास एक ऐसा शो बनाने का है जो एक उपन्यास की तरह मनोरंजक हो, यहां तक कि छोटे एपिसोड फॉरमेट में भी।
'सुल्तान ऑफ दिल्ली' में ताहिर राज भसीन, मौनी रॉय और अन्य कलाकारों ने अपने असाधारण प्रदर्शन से इन किरदारों को जीवंत बना दिया है। सीरीज़ का हर एपिसोड अपने पात्रों की जटिलताओं और कथानक की पेचीदगियों का पता लगाने में सफल होता है।