नसीरुद्दीन शाह ने लिखा, 'इरफान उसी विनीत और गरीमापूर्ण तरीके से चले गए, जैसे वह रहते थे। जब मैं एक दिन घर लौटा तो मैंने देखा था कि रत्ना मेरे ड्राइंग रूम में एक बेहद ही सौम्य व्यक्तित्व वाले शख्स के साथ बैठी है। दोनों किसी टीवी फिल्म के लिए उनके साथ रिहर्सल कर रहे थे।'
अगर वो आंखें नहीं होती तो मैं उस आदमी की तरफ ध्यान ही नहीं देता। मैंने कभी उन्हें परफॉर्म करते नहीं देखा था लेकिन उसके शांत आश्वासन में कुछ ऐसा था कि वह उस दिन मेरा अभिवादन करने के लिए उठे। वह एक शानदार एक्टर और शख्सियत थे जिनकी बुद्धिमत्ता हर चीज में दिखती थी। वे जो भी करते थे अच्छा होता था। उनका व्यक्तित्व अद्वितीय था।