Padmini Kolhapuri Birthday: बॉलीवुड की जानीमानी अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे 58 वर्ष की हो गई हैं। पद्मिनी कोल्हापुरे का जन्म 1 नवंबर, 1965 को एक मध्यम वर्गीय कोंकणी परिवार में हुआ। उनके पिता पंढरीनाथ कोल्हापुरे शास्त्रीय गायक थे जबकि उनकी मां एयरलाइंस में काम किया करती थीं। घर में संगीत का माहौल रहने के कारण पद्मिनी कोल्हापुरे का रुझान भी संगीत की तरफ हो गया और वह अपने पिता से संगीत सीखने लगीं।
साल 1973 में रिलीज फिल्म यादों की बारात में उन्हें गाने का अवसर मिला। इस फिल्म में उनकी आवाज में रचा बसा यह गीत यादो की रात निकली है आज दिल के द्वारे श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुए। इसके बाद उन्होंने किताब, दुश्मन, दोस्त जैसी फिल्मों में भी अपनी बहन शिवांगी के साथ पार्श्वगायन किया।
पद्मिनी कोल्हापुरे ने बतौर बाल कलाकार अपने करियर की शुरुआत निर्माता बी.एस.थापा की फिल्म एक खिलाड़ी बावन पत्ते से की। साल 1974 में उन्हें अपनी दूर की रिश्तेदार आशा भोंसले के प्रयास से देवानंद की फिल्म इश्क इश्क इश्क में बतौर बाल कलाकार काम करने का मौका मिला। इसके बाद उन्होंने ड्रीमगर्ल, साजन बिना सुहागन, जिंदगी जैसी फिल्मों में भी बतौर बाल कलाकार काम किया।
साल 1977 में रिलीज फिल्म सत्यम शिवम सुंदरम उनके करियर की अहम फिल्म साबित हुई। राजकपूर की इस फिल्म में उन्होंने अभिनेत्री जीनत अमान के बचपन की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में पद्मिनी के अभिनय को जबरदस्त सराहना मिली इसके साथ ही वह दर्शको के बीच अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गईं।
साल 1980 में रिलीज फिल्म इंसाफ का तराजू पद्मिनी कोल्हापुरे के करियर की महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई। बी.आर.चोपड़ा के बैनर तले बनी यह फिल्म साल 1976 में रिलीज हॉलीवुड फिल्म लिपिस्टक की रिमेक थी। इस फिल्म में पद्मिनी कोल्हापुरे ने अभिनेत्री जीनत अमान की बहन की भूमिका निभाई थी जिन्होंने बलात्कार की शिकार एक युवती की भूमिका निभाई थी। फिल्म में अपनी संजीदा भूमिका से उन्होंने दर्शको का दिल जीत लिया साथ ही सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित की गईं।
बतौर अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुर ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1980 में रिलीज फिल्म जमाने को दिखाना है से की। नासिर हुसैन निर्मित इस फिल्म में उनके नायक की भूमिका अभिनेता ऋषि कपूर ने निभाई थी। बेहतरीन गीत-संगीत के बावजूद फिल्म को टिकट खिड़की पर अपेक्षित सफलता नहीं मिली। वर्ष 1982 में रिलीज फिल्म प्रेम रोग में पद्मिनी कोल्हापुरे के अभिनय के नए रूप देखने को मिले। राजकपूर के निर्देशन में बनी इस फिल्म में उन्होंने एक विधवा का किरदार निभाया था।
वर्ष 1982 में पद्मिनी कोल्हापुरे को सुभाष घई निर्मित फिल्म विधाता में काम करने का अवसर मिला जो उनके करियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में उन्होंने अभिनय के अलावा एक गीत सात सहेलियां खड़ी खड़ी को भी अपनी आवाज दी थी जो उन दिनों श्रोताओं के बीच क्रेज बन गया था। हालांकि, बाद में यह गीत बैन कर दिया गया था।
वर्ष 1983 में प्रदर्शित फिल्म सौतन उनके करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है। इस फिल्म में उन्हें सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ काम करने का अवसर मिला। फिल्म में एक अछूत कन्या का किरदार निभाया था। फिल्म में अपने संजीदा अभिनय के लिये पद्मिनी कोल्हापुरे सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से नामांकित की गई।
वर्ष 1985 में प्रदर्शित फिल्म प्यार झुकता नहीं पद्मिनी कोल्हापुरे के करियर की सर्वाधिक सुपरहिट फिल्मों में शुमार की जाती है। इस फिल्म में उनके नायक की भूमिका मिथुन चक्रवर्ती ने निभाई थी। दोनों की जोड़ी को दर्शको ने बेहद पसंद किया। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए पद्मिनी कोल्हापुरे अपने करियर में दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पिल्म फेयर पुरस्कार से नामांकित की गई। 1986 में प्रदर्शित फिल्म ऐसा प्यार कहां के निर्माण के दौरान उनका झुकाव निर्माता टुटु शर्मा की ओर हो गया और बाद में उन्होंने शादी कर ली। शादी के बाद पद्मिनी कोल्हापुरे ने फिल्मों में काम करना काफी हद तक कम कर दिया।
वर्ष 1993 में प्रदर्शित फिल्म प्रोफेसर की पड़ोसन के बाद पद्मिनी कोल्हापुरे ने फिल्म इंडस्ट्री से सन्यास ले लिया। वर्ष 2004 में प्रदर्शित मराठी फिल्म मंथन से उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी वापसी की। फिल्म में उनकी भूमिका दर्शकों के बीच काफी सराही गई। उन्होंने अपने करियर में लगभग 60 फिल्मों में काम किया है। वह इन दिनों बॉलीवुड में अधिक सक्रिय नहीं हैं।