15 अक्टोबर से सिनेमाघर खोलने की इजाजत सरकार की तरफ से कई शर्तों के साथ तो मिल गई हैं, लेकिन अहम सवाल ये है कि फिल्में कौन सी दिखाएं। नई फिल्में रिलीज नहीं हो रही हैं इसलिए पुरानी फिल्मों से ही काम चलाना पड़ेगा।
कुछ फिल्मकारों ने घोषणा की है कि वे अपनी फिल्म फिर से प्रदर्शित करना चाहते हैं। ये रिलीज होकर थिएटर्स से बाहर हो चुकी हैं, लेकिन एक बार फिर इन फिल्मों को सिनेमाघर में प्रदर्शित होने का अवसर मिल रहा है।
तान्हाजी, शुभ मंगल ज्यादा सावधान, मलंग, केदारनाथ, थप्पड़ और वॉर जैसी फिल्में एक बार फिर सिनेमाघरों में दिखाई देंगी। क्या इन्हें दर्शक देखना चाहेंगे? क्योंकि इनमें से कुछ फिल्मों का टीवी पर प्रदर्शन हो चुका है। विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर ये उपलब्ध है, ऐसे में देखने वाली बात होगी कि ये कितने दर्शकों को सिनेमाघर खींच कर लाती है, वो भी ऐसी परिस्थिति में जब चारों ओर कोरोनावायरस का खतरा फैला हुआ है।
दरअसल रिपीट रन का जमाना बीत चुका है। इसका कारण पायरेसी है। पहले एक ही फिल्म कई बार सिनेमाघर में लगती थी। शोले, मुगल-ए-आजम, बॉबी जैसी फिल्में एक ही शहर में वर्षों तक सिनेमाघर में दिखाई जाती थी और हर बार दर्शक मिल जाते थे क्योंकि सिनेमाघर के अलावा कोई ऐसा माध्यम नहीं था जहां पर फिल्म देखी जा सकें।
पायरेसी के कारण परिस्थितियां बदल गईं। अब तो विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर पुरानी फिल्में उपलब्ध है। इसलिए एक फिल्म को फिर से रिलीज करने पर दर्शक नहीं मिलते हैं।
चूंकि सिनेमाघर खुल रहे हैं इसलिए पुरानी फिल्मों को दिखाना मजबूरी है। इसी बहाने दर्शकों का शायद आत्मविश्वास लौटे, फिल्म निर्माताओं को विश्वास लौटे और आने वाले दिनों में नई फिल्मों का भी प्रदर्शन हो।