एक बार हालत ये हो गई कि धर्मेन्द्र के पास खाने के भी पैसे नहीं बचे। दिन भर मीलों चलने के बाद वे रूम पर पहुंचे और भूख के मारे बुरा हाल हो रहा था। सामने टेबल पर धर्मेन्द्र के दोस्त ने ईसबगोल रखा हुआ था। दोस्त बाहर गया हुआ था। धर्मेन्द्र ने भूख मिटाने के लिए ईसबगोल की भूसी ही खा ली। पूरा डिब्बा चट कर गए।