क्रिस्टोफर नोलान की बैटमैन सीरिज का ‘द डार्क नाइट राइज़ेस’ फाइनल पार्ट है। बैटमैन बिगिन्स, द डार्क नाइट से होते हुए द डार्क नाइट राइसेस तक पहुंचने में नोलान को आठ वर्ष लगे। बैटमैन के दीवानों को इस फिल्म से बहुत उम्मीदें हैं और ये उनकी उम्मीदों पर खरी भी उतरती है।
यदि आपने पिछली फिल्में नहीं भी देखी हैं तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता। हर किरदार को डिटेल के साथ पेश किया गया है जिससे यह फिल्म समझने में कोई कठिनाई पैदा नहीं होती है। क्रिस्टोफर नोलान ने डेविड एस. गॉयर और जोनाथन नोलान के साथ मिलकर ऐसी कहानी लिखी है जिसमें ढेर सारे सब-प्लाट हैं, लेकिन कुशल निर्देशन ने कहानी को बिखरने नहीं दिया।
बैटमैन (क्रिश्चियन बेल) पर हार्वे डेंट की हत्या का दोष लग चुका है। आठ वर्ष से वह अपने महलनुमा घर से बाहर नहीं निकलता है। केवल बटलर एल्फ्रेड उसके साथ है। बैटमैन कमजोर हो चुका है। पहले जैसी उसमें ताकत नहीं है। अंदर से वह बेहद अकेला है क्योंकि अपना प्यार वह खो चुका है। सामाजिक जीवन से भी वह कट चुका है। लोगों के सामने ब्रूस वेन के रूप में उसकी पहचान है। ब्रूस को आर्थिक रूप से जबरदस्त घाटा होता है।
विलेन बेन (टॉम हार्डी) का मकसद है गोथम सिटी को तहस-नहस कर देना। वह एक न्यूक्लियर साइंसटिस्ट का अपहरण कर लेता है और उस पर दबाव डालकर न्यूक्लियर बम से गोथम सिटी को बर्बाद कर देना चाहता है।
गोथम शहर पर उसका कब्जा हो चुका है। उसके साथी ने शहर की सारी व्यवस्थाएं भंग कर दी है। उसकी अपनी पुलिस और न्याय प्रणाली है। बेन को रोकने की कोशिश बैटमैन करता है, लेकिन बेन उस पर भारी पड़ता है और कैद में डाल देता है।
क्या बेन अपने मकसद में कामयाब हो पाएगा? क्या बैटमैन गोथम शहर की रक्षा कर पाएगा? इन प्रश्नों के जवाब क्लाइमेक्स में सरप्राइज के साथ मिलते हैं।
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जेम्स बांड नुमा स्टाइल में फिल्म की शुरुआत होती है जिसमें बेन अपने प्लेन के जरिये दूसरे प्लेन में बैठे वैज्ञानिक का हवा में ही अपहरण करता है। यह फिल्म के बेहतरीन दृश्यों में से एक है।
इसके बाद कहानी ब्रूस वेन पर आकर थम-सी जाती है। एल्फ्रेड और ब्रूस के बीच के सीन बेहद लंबे हैं। इन दिनों तमाम सुपरहीरो को बेहद तनहा दिखाया जा रहा है, साथ ही वे कई बार विलेन के सामने कमजोर भी पड़ते हैं। सुपरमैन, स्पाइडरमैन के बाद बैटमैन का भी यही हाल है। बीच-बीच में सेक्सी चोर सेलिना (एने हैथवे) आकर फिल्म को गति प्रदान करती रहती है।
फिल्म ऊंचाइयों को तब छूती है जब बेन गोथम सिटी में आ धमकता है और अपने साथियों के जरिये शहर को तहस-नहस कर डालता है। दरअसल फिल्म का क्लाइमेक्स 70-80 मिनट तक चलता है जिसमें वेन को काबू में करने के लिए बैटमैन, कमिश्नर और कुछ काबिल पुलिस ऑफिसर पूरी कोशिश करते हैं।
क्लाइमेक्स में न्यूक्लियर बम के फटने का खतरा, शहर में अपराधियों का राज, बेन का खून-खराबा, बम को ढूंढ निकालने का रोमांच, बैटमैन का बेन की कैद से निकलकर गोथम सिटी में आना जैसे कई तत्व शामिल हैं जो सीट से हिलने नहीं देते हैं।
निर्देशक क्रिस्टोफर नोलान का निर्देशन बेहतरीन है। उन्होंने बैटमैन के एकाकीपन को भी उभारा है और बीच-बीच में बैटमैन का उड़ना, फ्यूचरिस्टिक बाइक और कार का चलाना जैसे रोमांचकारी दृश्यों को डाला है ताकि फिल्म एक ही ट्रेक पर चलती हुई नहीं लगे।
जहां तक माइनस पाइंट्स का सवाल है तो बैटमैन को कैद में रखने वाला प्रसंग बहुत लंबा रखा गया है जिसकी वजह से बैटमैन का एक्शन बहुत देर तक देखने को नहीं मिलता है। साथ ही यह फिल्म की लंबाई को भी बढ़ाता है। फिल्म शुरुआत में काफी धीमी भी है।
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बैटमैन के किरदार में कई शेड्स देखने को मिलते हैं और क्रिश्चियन बेल ने शानदार एक्टिंग से अपने किरदार में इन रंगों को खूब भरा है। दुनिया से मन उचटने वाले इंसान से लेकर बैटमैन के रूप में वापसी वाले किरदार को उन्होंने बेहतरीन तरीके से निभाया है।
बेन बने टॉम हार्डी क्रूर लगते हैं। पूरी फिल्म में उनका चेहरा एक बार नजर आता है क्योंकि उन्होंने मास्क लगा रखा है। इस मास्क के कारण उनके द्वारा बोले गए कई संवाद समझ में नहीं आते हैं। एने हैथवे ने फिल्म को ग्लैमरस लुक दिया है। सिनेमाटोग्राफी, एक्शन और स्पेशल इफेक्टस टॉप क्लास हैं।
द डार्क नाइट राइज़ेस में वो सारे मसाले हैं जो आप एक सुपरहीरो की फिल्म में देखना पसंद करते हैं।