'नमस्ते लंदन'-फिल्म को नमस्ते

निर्देशक : विपुल अमरुतलाल
कलाकार : अक्षय कुमार, कैटरीना कैफ, ऋषि कपूर
संगीत : हिमेश रेशमिया
पूरब का मुण्डा और पश्चिम की छोरी, ऐसा ही कुछ आपने मनोजकुमार की फिल्म 'पूरब और पश्चिम' में देखा होगा। लेकिन नहीं 'नमस्ते लंदन' मनोज कुमार की 'पूरब और पश्चिम' की कहानी नहीं है।

'आँखे' और 'वक्त-द रेस अगेंस्ट टाइम' के बाद विपुल अमरुतलाल शाह ने एक प्रेम कहानी का ताना-बाना बुना है, जो दर्शकों के मानस को झकझोरने वाली फिल्म है। पटकथा लेखक सुरेश नायर ने रोमांस, ड्रामा और हास्य का बढ़िया मिश्रण किया है।

'नमस्ते लंदन' आम रोमांटिक फिल्मों की तरह हीरो-हीरोइन की फिल्म नहीं है, बल्कि यह दो संस्कृतियों, बच्चों और माता-पिता के बीच सामंजस्य का अभाव और साथ ही रंगभेद जैसे विषयों पर भी चोट करती हुई फिल्म है। कहीं-कहीं आपको फिल्म में देशभक्ति का रंग भी मिलेगा।

अक्षय-कैटरीना के सगाई वाले दृश्य में गोरों की ओर से छींटाकशी की जाती है, बावजूद इसके भारत/पाकिस्तान द्वारा रग्बी मैच जीतना उन गोरों के मुँह पर एक जोरदार तमाचा है। जिस तरह का रोमांचक रग्बी मैच होता है, वह बाँधे रखता है।

इस फिल्म का हास्य भी आपको खूब हँसाएगा। खासकर ऋषि कपूर का लम्बा-चौड़ा खानदान और उनकी बीजी खासे मजेदार हैं।

इंटरवल के पहले कैटरीना का रूखा व्यवहार जहाँ आपको परेशानी में डालता है, वहीं अक्षय कुमार का दिल जीतने का देसी अंदाज आपकी सारी परेशानी चुटकियों में दूर कर देता है। सबको मात देने का उसका हथियार है उसका भोलापन और उसकी सच्चाई।

'वक्त' और 'आँखे' के बाद 'नमस्ते लंदन' को देखकर दर्शकों को यह जरूर महसूस होगा कि दिनोंदिन विपुल अमरुतलाल के निर्देशन में निखार आता जा रहा है।

जाज अका जसमीत (कैटरीना कैफ) को उसके पिता मननोहन (ऋषि कपूर) भारत लाते हैं और उसकी शादी पंजाब के ठेठ गँवई किसान अर्जुन (अक्षय कुमार) से कर देते हैं। लेकिन जसमीत अपने प्रेमी चार्ली ब्राउन (क्लायड स्टैडन) से शादी करना चाहती है। बाप-बेटी के इस खींच-तान में बेचारा अुर्जन पिसता रहता है, लेकिन उसे अपनी पत्नी से प्यार है। वह उसकी नासमझी को भी प्यार से सम्भालता है।

सुरेश नायर की पटकथा को बेहतरीन कहा जा सकता है। पटकथा में किसी प्रकार की काट-छाँट नहीं की जा सकती। फिल्म के पहले भाग में अगर थोड़ी-बहुत कमी है तो वह है फिल्म की गति। फिल्म के बीच-बीच में अँग्रेजी के संवाद व्यवधान पैदा करते हैं।

हिमेश रेशमिया का संगीत शानदार है। 'चकना चकना...' और 'दिलरुबा...' गाने सुनने लायक हैं। जॉनाथन ब्लॉम का फिल्मांकन बहुत ही बेहतरीन है। उन्होंने जहाँ लंदन का बेहतर फिल्मांकन किया, वहीं पंजाब की हरी-भरी धरती के फिल्मांकन में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। फिल्म के डायलॉग (रितेश शाह, सुरेश नायर) काफी स्वाभाविक लगे हैं।

अगर आपको लगता है कि अक्षय कुमार अपनी कॉमेडी वाली छवि में ही पूरी तरह बँध गए हैं तो उनके अभिनय को 'नमस्ते लंदन' में देखना चाहिए। वह फिल्म में भले ही कैटरीना का दिल जीत रहे हों, लेकिन उन लाखों दर्शकों का दिल जीतने में भी कामयाब होंगे।

कैटरीना अपनी पिछली फिल्म 'हमको दीवाना कर गए' के बाद 'नमस्ते लंदन' में बिल्कुल आत्मविश्वास से भरी हुर्ई नजर आई हैं। ऋषि कपूर अपने अंजाद से सबको लुभा गए। उन्होंने निःसंदेह अपने अभिनय की छाप छोड़ी है। उपेन पटेल का अभिनय भी अच्छा रहा है। मेहमान कलाकार के रूप में भी रितेश देशमुख ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। कैटरीना की माँ के किरदार में नीना वाडिया और कैटरीना के प्रेमी के किरदार में क्लायड स्टैंडन ने भी अपने अभिनय से सबको चौंकाया है। जावेद शेख का अभिनय भी ठीक-ठाक रहा।

कुल मिलाकर कहा जाए तो 'नमस्ते लंदन' एक अच्छी फिल्म है। एक व्यवसायिक फिल्म के नजरिए से इसे नपी-तुली फिल्म कहेंगे, जिसमें रोमांस, ड्रामा और कॉमेडी की ऐसी चाशनी है कि दर्शक खुद ही खींचे चले आएँगे। इसे पूरी तरह से पारिवारिक मनोरंजन की श्रेणी में रखा जा सकता है।

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