बैनर : सहारा वन मोशन पिक्चर्स, बीएसके फिल्म्स निर्माता : बोनी कपूर निर्देशक : प्रभुदेवा संगीत : साजिद-वाजिद कलाकार : सलमान खान, आयशा टाकिया, महेश मांजरेकर, प्रकाश राज, विनोद खन्ना, गोविंद नामदेव, मनोज पाहवा, इन्दर कुमार, महक चहल, मेहमान कलाकार - गोविन्दा, अनिल कपूर, प्रभुदेवा * केवल वयस्कों के लिए * 155 मिनट * 18 रील रेटिंग : 3/5
वन...टू...थ्री...सिनेमाघर में अंधेरा होते ही सलमान खान का शो शुरू हो जाता है। सलमान की एंट्री होती है एक्शन सीन से। एकदम ‘दीवार’ के अमिताभ की स्टाइल में सलमान शटर गिराते हैं और उस पर ताला गुंडे लगाते हैं। इसके बाद उन बीस-पच्चीस आदमियों की सल्लू जोरदार तरीके से धुलाई करते हैं।
धाँसू एक्शन सीन के तुरंत बाद धाँसू गाना। गणेश जी की मूर्ति के सामने सलमान ‘जलवा’ गाने पर ठुमके लगाते हैं। एक्शन और गाने से निर्देशक ने दिखा दिया कि राधे किस तरह का आदमी है। वह लोगों को गाजर-मूली की तरह काटता है और भगवान के आगे सिर झुकाता है।
राधे (सलमान खान) एक शूटर है। उसके चमचे उसे ब्रूसली का नाना और रैम्बो का चाचा कहते हैं। ‘तुम जिस स्कूल में पढ़े हो उसका हेडमास्टर मेरे से ट्यूशन लेता है’ जैसे घिस-पिटे डॉयलॉग भी वह बोलता है।
पैसे के लिए वह कुछ भी कर सकता है। लेकिन ठहरिए... उसके भी कुछ उसूल हैं। औरतों और बच्चों पर वह हाथ नहीं उठाता। जो काम पसंद आता है वही करता है। शराब और खून जब इच्छा हो तब पीता है और वो भी दबा के। गुटखे को वह मौत का सामान मानता है। एक बार कमिटमेंट कर दिया तो फिर वह अपनी भी नहीं सुनता।
एक्शन के बीच रोमांस भी जरूरी है। इस गुंडेनुमा शख्स की स्टाइल पर लड़कियाँ मरती है क्योंकि ‘हथियार’ से वह बहुत अच्छी तरह खेलता है। ‘तुम गुंडे हो, लेकिन दिल के अच्छे हो’ कहकर इस हत्यारे पर जाह्नवी (आयशा टाकिया) फिदा हो जाती है, लेकिन राधे के क्रूर रूप को देख वह भी सिहर उठती है।
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मोटी-ताजी जाह्नवी पर दो लोग और फिदा है। अधेड़ उम्र का मकान मालिक (मनोज पाहवा), जो बीच-बीच में दर्शकों को हँसता है और इंसपेक्टर तलपदे (महेश मांजरेकर), जिसकी हरकतों पर दर्शकों को गुस्सा आता है।
गनी भाई (प्रकाश राज) के लिए राधे काम करता है और उनके दुश्मनों को ठिकाने लगता है। गनी भाई के खास आदमी का मर्डर हो जाता है और लड़कियों की कुश्ती देखने के शौकीन गनी भाई विदेश से भारत चले आते हैं। यहाँ आकर उन्हें एक खास राज मालूम पड़ता है, जिससे उनकी और राधे की दुश्मनी हो जाती है। कहानी में ट्विस्ट आता है और खून-खराबे के पीछे राधे का मकसद क्या है, ये सभी को पता चलता है।
तमिल फिल्म ‘पोकिरी’ पर आधारित ‘वॉन्टेड’ की कहानी धागे जैसी पतली है। उसमें नयापन भी नहीं है। आगे क्या होने वाला है ये सभी को पता रहता है। क्लाइमेक्स के थोड़ा पहले तक कहानी आगे खिसकती भी नहीं है। फिर भी फिल्म में रूचि बनी रहती है क्योंकि निर्देशक प्रभुदेवा ने दृश्यों की असेंबलिंग बहुत ही उम्दा तरीके से की है। एक्शन, हास्य और रोमांस का मिश्रण बिलकुल बराबर मात्रा में किया है। साथ ही उन्होंने सलमान खान को बेहतरीन तरीके से पेश किया है। सलमान के ढेर सारे प्रशंसक उन्हें इसी रूप में देखना पसंद करते हैं। सलमान की जो इमेज है वह राधे के किरदार से बिलकुल मेल खाती है। अक्खड़, थोड़ा बिगड़ैल लेकिन दिल का हीरा, बेखौफ, लार्जर देन लाइफ सी शख्सियत, अपनी मर्जी से जीने वाला, स्टाइलिश, औरतों की इज्जत करने वाला। लगता ही नहीं कि सलमान एक्टिंग कर रहे हैं।
पूरी फिल्म में सलमान का प्रभुत्व है। सल्लू की हीरोगिरी दिखाने के लिए स्क्रिप्ट की खामियों को भी नजरअंदाज कर दिया गया है। सलमान के कारण दर्शक उन गलतियों को पचा लेते हैं। सलमान पर सैकड़ों गोलियाँ चलती हैं और उन्हें खरोंच तक नहीं आती। ‘वॉन्टेड’ देखते समय दर्शक इन बातों की परवाह नहीं करते क्योंकि उनके हीरो को गोली छू भी नहीं सकती।
एक्शन इस फिल्म का प्रमुख आकर्षण है। कई एक्शन/स्टंट बेहतरीन बन पड़े हैं, जिनमें सलमान की एंट्री वाला सीन, आयशा को ट्रेन में छेड़ने वाले गुंडों की पिटाई वाले सीन और फिल्म का क्लायमैक्स उल्लेखनीय हैं।
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संगीत की बात की जाए तो ‘जलवा’ और ‘लव मी’ उम्दा है। हर गाने का फिल्मांकन खूबसूरत लोकेशन्स पर भव्य तरीके से किया गया है। तकनीकी रूप से फिल्म सशक्त है।
आयशा टाकिया ने सलमान का साथ उम्दा तरीके से निभाया है। गनी भाई के रूप में प्रकाश राज ने अपनी छाप छोड़ी है। पुलिस की गिरफ्त रहकर उन्होंने खूब हँसाया है। महेश मांजरेकर को देख नफरत पैदा होती है और यही उनकी कामयाबी है। विनोद खन्ना प्रभाव नहीं छोड़ पाते हैं।
यदि आप एक्शन फिल्म पसंद करते हैं और सलमान खान के प्रशंसक हैं तो ‘वॉन्टेड’ आपके लिए है तीखे मसालों के साथ।