Main Atal Hoon movie review : आंधियों में बुझते दीयों को जलाने वाले शख्स की कहानी

समय ताम्रकर

शुक्रवार, 19 जनवरी 2024 (14:35 IST)
Main Atal Hoon movie review : अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के वो शिखर पुरुष थे जिनका सम्मान विरोधी दल के नेता भी करते थे। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संसद में जब पहली बार अटल को बोलते हुए सुना तो भविष्यवाणी कर दी थी कि यह लड़का आगे चल कर भारत का प्रधानमंत्री बनेगा। 
 
अटल बिहारी की राजनीति सिद्धांत और नैतिकता की राह पर चलती थी जो आज की राजनीति में बिरला गुण माना जाता है। उन्होंने कभी समझौता नहीं किया और तमाम उम्र वे सरकार से लड़ते रहे और फिर प्रधानमंत्री बने। जो भारतीय जनता पार्टी वर्तमान में शासन कर रही है उसकी नींव अटल ने ही रखी थी। 
 
राजनीति में लंबी पारी खेलने वाले अटल बिहारी पर फिल्म बनाना आसान काम इसलिए नहीं है क्योंकि फिल्मकार के सामने चुनौती रहती है कि क्या दिखाए और क्या छोड़े। निर्देशक रवि जाधव कोशिश की है कि वे अटल जी से जुड़े ज्यादातर पहलु दर्शकों के सामने रखे। 
 
भाषण देने की कला में माहिर वाजपेयी बचपन में मंच पर इतने नर्वस हो गए थे कि बिना कुछ बोले उतर गए। पिता की सीख के बाद वे बोलने में इतने माहिर हो गए कि सैकड़ों मील दूर से उन्हें सुनने के लिए लोग आते थे। 
 
जब कॉलेज में पढ़ने के लिए अटल बिहारी होस्टल गए तो उनके रूम पार्टनर उनके पिताजी थे। ऐसे कुछ दिलचस्प किस्से 'मैं हूं अटल' में देखने को मिलते हैं जिनके बारे में दर्शक ज्यादा जानते नहीं है। 
 
अटल बिहारी का आरएसएस से जुड़ना, श्यामाप्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय जैसे लोगों से मिल कर राजनीति में कूदना, विभिन्न मोर्चों पर सरकार के साथ संघर्ष करना, कांग्रेस जैसी शक्तिशाली पार्टी के खिलाफ लड़ कर भारत का दसवां प्रधानमंत्री बनना उनके राजनीतिक जीवन की झलक को दिखलाया है। 

 
अटल बिहारी कवि भी थे। उनका कोमल हृदय कई बार व्यथित होता था और कविताएं फूट पड़ती थी। कॉलेज के दिनों में वे एक लड़की को दिल भी दे बैठे थे जो बाद में उनकी लाइफ में दोस्त बन कर फिर आती है। इन दृश्यों के जरिये उनका कवि वाले हिस्से को भी फिल्म में दर्शाया गया है। 
 
प्रधानमंत्री बनने के बाद अटल बिहारी ने क्या महत्वपूर्ण फैसले लिए, किस तरह से उनकी सरकार गिराने की कोशिश हुई इसको भी हल्के से फिल्म में छुआ गया है। 
 
अटल बिहारी के जीवन को तीन भागों, (1) कवि (2) राजनेता (3) प्रधानमंत्री, में बांट कर और इनके महत्वपूर्ण हिस्सों को गूंथ कर फिल्म में दिखाया गया है। 
 
निर्देशक रवि जाधव ने अपने प्रस्तुतिकरण में सरल रास्ता चुना है, अटल बिहारी की लाइफ को शुरू से लेकर तो आखिर तक, एक टाइम लाइन फ्रेम में दिखाया है।
 
अटल बिहारी द्वारा दिए गए प्रमुख भाषणों के अंश भी उन्होंने रखे हैं जो उन्होंने विभिन्न मंचों से दिए। दृश्यों को अटल बिहारी द्वारा रचित कविताओं को बैकग्राउंड से सुना कर प्रभावी बनाया गया है। कुछ ऐसे प्रसंग भी रखे हैं जो दर्शकों को भावुक करते हैं। 
 
'मैं अटल हूं' 140 मिनट की फिल्म है। निर्देशक चाहते तो थोड़ा समय और ले सकते थे क्योंकि उनके काम में जल्दबाजी नजर आती है। कुछ प्रसंग ऐसे भी हैं जिन्हें ज्यादा समय देना था और उन्हें फिल्म उनको छूती हुई निकल गई।


 
क्या भारतीय जनता पार्टी के आक्रामक रूख से वे नाखुश थे? क्यों उन्होंने पार्टी की मीटिंग में आना छोड़ दिया था? क्यों वे राजनीति से अलग होना चाहते थे? ये कुछ सवाल हैं, जो फिल्म में नजर आते हैं, लेकिन फिल्मकार ने इससे दूरी बनाना उचित समझा। 
 
अटल बिहारी के राजनीतिक सफर को भी थोड़ा और फुटेज मिलने थे। उनके द्वारा दिए गए बढ़िया भाषणों को शामिल किया जा सकता था। उनकी सोच और समझ को फिल्म में और विकसित किया जा सकता था। 
 
ये कमी फिल्म में झलकती है क्योंकि बायोपिक अगर बनती है तो उम्मीद बहुत ज्यादा हो जाती है और खासतौर से तब जब आप किसी विराट शख्सियत की बात फिल्म के जरिये कहते हैं। 
 
फिल्म से बंधे रहने का बड़ा कारण पंकज त्रिपाठी को जाता है। पंकज त्रिपाठी की एक्टिंग में एक खास मैनेरिज्म है जिसे वे लगातार दोहराते रहते हैं, लेकिन 'मैं अटल हूं' में उन्होंने पुरजोर कोशिश की है कि वे इसके आसपास भी नहीं फटके। 
 
उन्होंने अटल जी की भाव-भंगिमाएं, शारीरिक हाव-भाव और आंखों को मींच कर बोलने की अदा को बेहद बारीकी से पकड़ा है। युवावस्था से लेकर तो वृद्धावस्था तक के निभाए किरदार में उन्होंने इसे छूटने नहीं दिया है। ऐसा लगता है मानो हम अटल जी को ही देख रहे हों। इसमें मेकअप मैन का भी कमाल है कि उसने पंकज त्रिपाठी की शक्ल को अटलजी के बहुत नजदीक कर दिया। 
 
एकता कौल, पियूष मिश्रा, दयाशंकर पांडे, राजा रमेश कुमार सेवक, प्रमोद पाठक, पायल नायर सहित सारी सपोर्टिंग कास्ट ने अपना-अपना पार्ट अच्छे से अदा किया है। फिल्म में गानों को अच्छा इस्तेमाल है और वे कहानी को धार प्रदान करते हैं। प्रोडक्शन डिजाइन अच्छा है। 
 
'मैं अटल हूं' को देखा जा सकता है क्योंकि इस राजनेता के जीवन की कई झलकियां इस फिल्म के जरिये देखने को मिलती है। उम्मीद है कि अटल बिहारी वाजपेयी पर और भी ठोस फिल्म या वेबसीरिज बनाने का प्रयास भविष्य में होगा ताकि उनके अन्य पहलु भी उभर कर आएं। 
 
निर्माता : विनोद भानुशाली, संदीप सिंह, कमलेश भानुशाली
निर्देशक : रवि जाधव 
गीतकार : अटल बिहारी वाजपेयी, कैलाश खेर, मनोज मुंताशिर
संगीत : पायल देव, अमितराज, कैलाश खेर 
कलाकार : पंकज त्रिपाठी, एकता कौल, पियूष मिश्रा, दयाशंकर पांडे, राजा रमेश कुमार सेवक, प्रमोद पाठक, पायल नायर
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 19 मिनट 39 सेकंड 
रेटिंग : 3/5 

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