Mili movie review in Hindi सरवाइवल थ्रिलर समय-समय पर बनती रहती है। कुछ दिनों पहले बॉलीवुड में राजकुमार राव को लेकर 'ट्रैप्ड' मूवी बनी थी जिसमें वे एक फ्लेट में फंस जाते हैं और कई दिन उन्हें गुजारने पड़ते हैं। जान्हवी कपूर फिल्म 'मिली' में एक फ्रीजर में कैद हो जाती हैं जिसका तापमान लगातार कम होते हुए शून्य के बहुत नीचे पहुंच जाता है। किस तरह से वे इस मुश्किल हालात का सामना करती है इसे फिल्म में दर्शाया गया है।
सरवाइवल थ्रिलर में मनुष्य मुसीबत में अपनी नई क्षमताओं से परिचित होता है। शुरुआत में वह घबराता है, निराश होता है, लेकिन धीरे-धीरे लड़ने की ताकत जुटाता है और विषम परिस्थितियों से मुकाबला करता है।
बॉलीवुड में इस समय नया करने का साहस कम होता जा रहा है और फिल्म मेकर रीमेक पर आश्रित होते जा रहे हैं। मिली भी रीमेक है 2019 में रिलीज हुई फिल्म 'हेलेन' का। फिल्म निर्माता बोनी कपूर इससे बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने अपनी बेटी को लीड रोल सौंप कर 'मिली' बनाई। बोनी ने मूल फिल्म के निर्देशक मथुकुट्टी जेवियर से भी हिंदी फिल्म निर्देशित करवाई।
मिली एक नर्स है, लेकिन शॉपिंग मॉल स्थित एक रेस्तरां में काम करती है। उसकी जिंदगी में पिता (मनोज पाहवा) और प्रेमी समीर कुमार (सनी कौशल) बहुत अहम है। अपने प्रेमी को मिली ने पिता से अब तक इसलिए नहीं मिलवाया क्योंकि उसके पास कोई जॉब नहीं है।
एक दिन मिली जब निश्चित समय पर घर नहीं पहुंचती। काफी देर हो जाती है तो उसके पिता चिंतित हो जाते हैं और पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराते हैं। उधर मिली एक फ्रीज़र में मौत से लड़ाई लड़ रही है। उसका मोबाइल भी बाहर रखा हुआ है और उसकी चीख सुनने वाला कोई नहीं है।
कहा जा सकता है कि कहानी थोड़ी हट कर है, और दर्शकों में रूचि जगाती है। स्क्रीनप्ले भी इस तरह लिखा गया है कि आप जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि आगे क्या होगा। लेकिन इसके लिए आपको बोरिंग लम्हों से भी गुजरना पड़ता है।
शुरुआत में फिल्म स्लो लगती है। बाद में मिली जिस तरह से फ्रीजर में संघर्ष कर रही है उस सीक्वेंस को शुरुआत में देखना तो अच्छा लगता है, लेकिन धीरे-धीरे फिल्म दोहराव का शिकार होने लगती है। महसूस होता है कि कुछ सीन महज फिल्म की लंबाई को बढ़ाने के लिए रखे गए हैं।
हालांकि मिली के संघर्ष के साथ बाहरी दुनिया भी दिखाई गई है जिसमें पिता की चिंता और पुलिस का गैर जिम्मेदाराना रवैया को लेकर सीन भी रखे गए हैं, लेकिन इन दृश्यों में बहुत अनोखी बात नहीं है, अच्छा ये होता कि फिल्म की लंबाई कम कर दी जाती जिससे दर्शकों को शुरुआत से अंत तक मजा आता।
इस फिल्म का हासिल जान्हवी कपूर हैं। उनका यह अब तक का सबसे अच्छा परफॉर्मेंस है। फ्रीज़र में बंद होने के बाद उनके पास संवाद बहुत कम थे और ऐसे में उन्हें अपने चेहरे और बॉडी लैंग्वेज के जरिये एक्सप्रेशन दिखाना थे जिसमें वे कामयाब रहीं। इस काम में उनके मेकअप मैन का काम भी सराहनीय रहा जिसने ठंड के बढ़ते असर को जान्हवी के चेहरे के मेकअप के जरिये दिखाया। इससे जान्हवी के किरदार का दर्द भी बयां होता है।
मनोज पाहवा मंझे हुए कलाकार हैं और अपनी छाप छोड़ते हैं। सनी कौशल और विक्रम कोचर का काम भी उल्लेखनीय है। संगीत जगत के दो बड़े नाम जावेद अख्तर और एआर रहमान इस फिल्म से जुड़े हुए हैं। जावेद के बोल तो स्तरीय हैं, लेकिन एआर रहमान कोई यादगार धुन नहीं दे पाए, लिहाजा फिल्म मिली का संगीत निराश करता है।
मिली को एक ठीक-ठाक फिल्म कहा जा सकता है और ऐसी फिल्में थिएटर के बजाय ओटीटी पर देखना दर्शक ज्यादा पसंद करते हैं।