द फ्रीलांसर : अटकते-रूकते-चलते मिशन की मोहित रैना कमजोर कड़ी

समय ताम्रकर
सोमवार, 11 सितम्बर 2023 (17:36 IST)
The Freelancer web series review: नीरज पांडे को सेना या स्पेशल टास्क फोर्स पर फिल्म या वेबसीरिज बनाना पसंद है। वेबसीरिज 'द फ्रीलांसर' में भी उन्होंने ऐसा ही एक मिशन दिखाया है।
 
2017 की किताब 'ए टिकट टू सीरिया' पर यह सीरिज आधारित है। नीरज ने क्रिएटर और राइटर का काम किया है और निर्देशन का जिम्मा भव धुलिया को सौंपा है। शायद इस सीरिज का बजट ज्यादा नहीं था या इसमें बड़े सितारे नहीं हैं, इसलिए नीरज ने ऐसा किया हो, लेकिन भव के निर्देशन में नीरज की छाप हर सीन में नजर आती है। 
 
दरअसल नीरज अब इस तरह की सीरिज बनाने में माहिर हो गए हैं और एक तयशुदा फॉर्मूला उनके हाथ लग गया है। यह बात 'द फ्रीलांसर' देखते समय महसूस होती है। 
 
कहानी ऐसी लड़की की है जिसके साथ शादी के नाम पर धोखा हुआ है और वह सीरिया में फंस गई है। उसके पिता का दोस्त अविनाश जो लोगों को बचाने या मिशन करने का पूरा जिम्मा बतौर फ्रीलांसर निभाता है, आलिया की घर वापसी का मिशन अपने हाथों में लेता हैं। बागी सीरिज की मूवी में टाइगर श्रॉफ भी ऐसे ही एक मिशन पर निकले थे। 
 
विदेशी फिल्मों में ऐसे फ्रीलांसर्स की कहानी नजर आती है जो भूतपूर्व सैनिक होते हैं या फिर उनकी ट्रेनिंग एक कमांडो की तरह होती है। वे लड़ाकू होते हैं और पैसों के लिए इस तरह के मिशन हाथों में लेते हैं। 
 
ये बात ही 'द फ्रीलांसर' सीरिज को थोड़ा हटके बनाती है। पहले सीज़न के 4 एपिसोड सामने आए हैं और दूसरे सीज़न में कहानी का समापन किया जाएगा। 
 
भव धुलिया ने बात को रखने में जरूरत से ज्यादा वक्त लिया है इसलिए कहानी रूकती-अटकती हुई आगे बढ़ती है। हालांकि भव ने कुछ सीन उम्दा फिल्माए हैं और कुछ सीक्वेंस ऐसे हैं जहां रोमांच पैदा होता है, लेकिन इनकी संख्या कम है। 
 
मोहित रैना सीरिज की कमजोर कड़ी साबित होते हैं। उनके अभिनय में वो स्पार्क मिसिंग लगता है जो इस तरह की कहानियों में जरूरी होता है। उनके उदासीन अभिनय का असर पूरी सीरिज पर पड़ता है। अनुपम खेर भी नजर आए, लेकिन उनका रोल छोटा और अस्पष्ट है। शायद दूसरे सीज़न में बड़ा रोल देखने को मिले। कश्मीरा परदेसी की एक्टिंग बढ़िया है। 
 
करने को कुछ नहीं हो और कम उम्मीद से देखी जाए तो 'द फ्रीलांसर' को मौका दिया जा सकता है। 
 

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