जरा हट के जरा बच के फिल्म समीक्षा: न हट के और न बच के

समय ताम्रकर
शनिवार, 3 जून 2023 (13:48 IST)
निर्देशक लक्ष्मण उतेकर पर ऋषिकेश मुकर्जी और बासु चटर्जी द्वारा बनाई गई मध्यमवर्गीय परिवार केन्द्रित फिल्मों का असर है। लुका छिपी और मिमी के बाद जरा हटके जरा बचके में भी इसकी झलक मिलती है। 1972 में बासु चटर्जी ने 'पिया का घर' जया भादुड़ी और अनिल धवन को लेकर बनाई थी जिसमें एक नवविवाहित दम्पति को शादी के बाद प्राइवेसी ही नहीं मिल पाती क्योंकि घर छोटा है और ढेर सारे रिश्तेदार मौजूद हैं। 'जरा हटके जरा बचके' की कहानी में 'पिया के घर' वाले तत्व मिलते हैं। 
 
योग इंस्ट्रक्टर कपिल (विकी कौशल) और ट्यूटर सौम्या (सारा अली खान) इंदौर में रहने वाला कपल है। शादी को दो साल हो गए हैं और वे संयुक्त परिवार में रहते हैं। मम्मी-डैडी-मामा-मामी जैसे लोग आसपास मौजदू हैं। एक स्मार्ट भतीजा भी है जो उस वक्त कपिल और सौम्या के बीच घुस जाता है जब दोनों रोमांस करना चाहते हैं। प्राइवेसी नहीं मिलने के कारण वे अपने लिए एक घर खरीदना चाहते हैं, लेकिन पैसे कम पड़ जाते हैं। आखिरकार वे ट्रिक अपनाते हैं ताकि उन्हें कुछ एकांत के पल मिलें, लेकिन इस रास्ते में कई बाधाएं हैं।
 
रमीज़ इलहम खान की लिखी कहानी में कॉमेडी की काफी गुंजाइश थी, लेकिन स्क्रीनप्ले में इसका फायदा नजर नहीं आता। फिल्म अच्छी शुरुआत लेती है, लेकिन धीरे-धीरे उस मोड पर चली जाती है जहां से दर्शकों को अंदाजा होने लगता है कि आगे क्या होने वाला है और यही से फिल्म का मजा खत्म होने लगता है। 
 
बात को इतना घुमाया-फिराया गया है कि असर कम होने लगता है। नि:संदेह कुछ ऐसे सीन हैं जो खूब हंसाते हैं, लेकिन पूरी फिल्म के बारे में यह बात नहीं कही जा सकती। कुछ कॉमिक दृश्यों में कलाकार अच्छा नहीं कर पाए तो जहां कलाकारों ने अच्छा किया है तो सीन दमदार तरीके से नहीं लिखा गया है। कुछ दृश्यों में नजर आता है कि बेवजह हंसाने की कोशिश की जा रही है।
 
लक्ष्मण उतेकर मिडिल क्लास फैमिली और छोटे शहर के वातावरण को दिखाने में माहिर है और उनकी यह खासियत जरा हटके जरा बचके में भी नजर आती है, लेकिन अब वे 'टाइप्ड' होने लगे हैं। जरा हट के जरा बच के में स्क्रिप्ट का भी उन्हें पूरी तरह साथ नहीं मिला।  
 
विकी कौशल का अभिनय ठीक है, बहुत अच्छा नहीं है। सारा अली खान कुछ दृश्यों में ओवर एक्टिंग करती नजर आईं। विकी और उनकी केमिस्ट्री जहां अच्छी रही वो सीन अच्छे बने, लेकिन ऐसे दृश्यों की संख्या कम है। इनाम उल हक ने दर्शकों का मनोरंज करने में कामयाबी हासिल की। विवान शाह, राकेश बेदी, हिमांशु कोहली, नीरज सूद काम अच्छा है। 
 
सचिन-जिगर का म्यूजिक फिल्म का प्लस पाइंट है। 'तू है तो मुझे फिर और क्या चाहिए', 'सांझा' और 'तेरे वास्ते' अच्छे बन पड़े हैं। संदीप शिरोडकर का बैकग्राउंड म्यूजिक भी अच्छा है। 
 
कुल मिलाकर 'जरा हटके जरा बचके' ऐसी फिल्म नहीं है कि सिनेमाघर जाया जाए, ओटीटी या टीवी पर आने का इंतजार किया जा सकता है। 
 

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख