ज्वलंत मुद्दों की कहानियां

किसी भी लेखक का रचनाकर्म उसकी समकालीन परिस्थितियों, उसके इर्द-गिर्द के वातावरण और घटनाओं से काफी प्रभावित होता है। घटनाओं को भावनाओं और विचारों के साथ बुन लेखक कहानी लिखता है।

डॉ. संदीप अवस्थी के सोलह कहानियों के संग्रह 'अभी उम्मीद बाकी है' की कहानियां भी समकालीन परिवेश और समय के साथ बदलते व्यक्ति के मनोभावों को हमारे समक्ष किस्सों और घटनाक्रम के जरिए सलीके से कहती चलती हैं। लेखक की कहानियां घटनाप्रधान होने के साथ ही भावनाओं और विचारों के स्तर पर भी हमें उद्वेलित करती हैं।

'चदरिया झीनी झीनी' लड़के और लड़की की दोस्ती में साफगोई और पवित्रता के भाव को व्यक्त करती है। 'जिस्म का आकर्षण वास्तव में बहुत छोटा होता है, जबकि बुद्धिमान लोग वैचारिक, मानसिक और दिलों के धरातल पर एक-दूसरे को जानते, महसूसते और प्यार करते हैं। परिपक्वता इसे ही कहते हैं। यह नए ढंग का रूहानी सफर है।'

'वॉयवा' में लेखक अपने पीएचडी के अनुभव कहानी के रूप में पाठकों से शेयर करते हैं। 'इमोशनल अत्याचार' में प्रेमी-प्रेमिका अपने संबंधों की ईमानदारी परखने के लिए एक-दूसरे के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन करवाते हैं, तो संग्रह की शीर्षक कहानी 'अभी उम्मीद बाकी है' आतंकवाद की समस्या को नए ढंग से प्रस्तुत करती है। 'अथातो दलित चेतना' उस सच्चाई को उजागर करती है, जिस पर कम ही लोग लिखते हैं। कहानी में दलित चेतना और उनके लिए बने कानूनों के अनुचित प्रयोग से पर्दा उठाया गया है।

'सरहद के पार' सीमावर्ती इलाकों में हो रही तस्करी की हकीकत बयां करती है। अपनी कहानियों के लेखक ने समाज के ज्वलंत मुद्दों को उठाया है। ये कहानियां व्यक्ति के जीवन में आए उतार-चढ़ाव, सुख-दुख, लाभ-हानि के समभाव से ग्रहण करने की सीख देती है। कहानी के पात्र विपरीत परिस्थितियों में भी धीरज बनाए रखते हैं। संघर्षों से जूझने की हिम्मत रखते हैं।

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