अमेरिका से शुरू हुआ सफर:
मदर्स डे की शुरुआत अमेरिका से हुई। 19वीं सदी के आखिर में एना जार्विस नाम की एक महिला ने अपनी मां की याद में मदर्स डे मनाने की शुरुआत की। एना की मां, एन रीव्स जार्विस, गृहयुद्ध के दौरान सैनिकों की देखभाल करने वाली एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं। एना अपनी मां के निधन के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए एक खास दिन मनाना चाहती थीं।
साल 1908 में एना ने पहली बार मदर्स डे मनाया। उन्होंने अपने चर्च में अपनी मां की याद में एक स्मारक सेवा का आयोजन किया। इस सेवा में उन्होंने सफेद कार्नेशन्स बांटे, जो उनकी मां का पसंदीदा फूल था। धीरे-धीरे मदर्स डे की लोकप्रियता बढ़ती गई और 1914 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने इसे राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया।
दूसरा रविवार क्यों?
अब सवाल यह है कि आखिर मई के दूसरे रविवार को ही क्यों मनाया जाता है मदर्स डे? दरअसल, एना जार्विस की मां का निधन मई के दूसरे रविवार को हुआ था। इसलिए उन्होंने अपनी मां की याद में इसी दिन मदर्स डे मनाने का फैसला किया। धीरे-धीरे यह परंपरा दुनिया भर में फैल गई और अब हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है।
मां के प्रति प्यार और सम्मान:
मदर्स डे सिर्फ एक दिन नहीं है, बल्कि माताओं के प्रति हमारे प्यार और सम्मान को व्यक्त करने का एक खास मौका है। इस दिन हम अपनी माताओं को उनके प्यार, त्याग और समर्पण के लिए धन्यवाद देते हैं। हम उन्हें गिफ्ट देते हैं, उनके लिए खास खाना बनाते हैं और उनके साथ समय बिताते हैं।
भारत में मदर्स डे:
भारत में मदर्स डे पश्चिमी देशों की तरह उतना लोकप्रिय नहीं है, लेकिन फिर भी कई लोग इस दिन अपनी माताओं को सम्मान देते हैं। कुछ लोग उन्हें गिफ्ट देते हैं, कुछ उनके लिए खास खाना बनाते हैं और कुछ उनके साथ समय बिताते हैं।
चाहे आप मदर्स डे मनाएं या न मनाएं, अपनी मां के प्रति प्यार और सम्मान हर दिन दिखाना चाहिए। उनकी देखभाल करें, उनकी बातों को सुनें और उन्हें बताएँ कि आप उनसे कितना प्यार करते हैं। आखिरकार, मां का प्यार दुनिया की सबसे अनमोल चीज़ है।