Gautam buddha vanshavali: गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले नेपाल के लुम्बिनी वन में हुआ। उनका जन्म नाम सिद्धार्थ रखा गया। सिद्धार्थ के पिता शुद्धोदन कपिलवस्तु के राजा थे और उनका सम्मान समूचे भारतवर्ष में था। सिद्धार्थ की मौसी गौतमी ने उनका लालन-पालन किया क्योंकि सिद्धार्थ के जन्म के सात दिन बाद ही उनकी मां का देहांत हो गया था। श्रावस्ती का समकालीन नगर कपिलवस्तु प्राचीन समय में शाक्य वंश की राजधानी थी। यह राजधानी गोरखपुर से 97 किलोमीटर दूर स्थित है। गौतम बुद्ध के काल में भारतवर्ष के इस नगर की समृद्धिशाली नगरों में इसकी गणना होती थी। मान्यता अनुसार यह भूमि कपिल मुनि की तपोभूमि होने के कारण कपिलवस्तु कही जाने लगी।
गौतम बुद्ध के पूर्वज : श्रीमद्भागवत महापुराण और विष्णुपुराण में हमें शाक्यों की वंशावली के बारे में उल्लेख पढ़ने को मिलता है। कहते हैं कि राम के 2 पुत्रों लव और कुश में से कुश का वंश ही आगे चल पाया। कुश के वंश में ही आगे चलकर 50वीं पीढ़ी में महाभारत काल में शल्य हुए। इन्हीं शल्य की लगभग 25वीं पीढ़ी में ही गौतम बुद्ध हुए थे। हालांकि यह संपूर्ण विषय अभी रिसर्च का विषय है। कुश वंश से ही कुशवाह, मौर्य, सैनी, शाक्य संप्रदाय की स्थापना मानी जाती है, हालांकि अभी भी यह एक शोध का विषय है।
शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अंतरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणज्जय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन और फिर सिद्धार्थ हुए, जो आगे चलकर गौतम बुद्ध कहलाए।
गौतम बुद्ध के वंशज : इन्हीं सिद्धार्थ के पुत्र राहुल थे। राहुल को कहीं-कहीं लांगल लिखा गया है। राहुल के बाद प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए। इस तरह का उल्लेख शाक्यवंशी समाज की पुस्तकों में मिलता है। शाक्यवार समाज भी ऐसा ही मानता है।