budhha Jayanti 2021 : भगवान बुद्ध के 10 उपदेश, यहां पढ़ें

Webdunia
budhha Jayanti 2021
 
बुद्ध भगवान ने अनेक प्रकार से प्राणी हिंसा की निंदा और उसके त्याग की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा है कि कोई भी चर्म नहीं धारण करना चाहिए। मनुष्य को क्रोध नहीं करना चाहिए।
 
यहां जानिए भगवान बुद्ध के 10 उपदेश, जो हमें सदा याद रखने चाहिए- 
 
 
* जैसे मैं हूं, वैसे ही वे हैं, और 'जैसे वे हैं, वैसा ही मैं हूं। इस प्रकार सबको अपने जैसा समझकर न किसी को मारें, न मारने को प्रेरित करें।
 
* जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है कि तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो। फिर जीत हमेशा तुम्हारी होगी, इसे तुमसे कोई नहीं छीन सकता।   
 
* जहां मन हिंसा से मुड़ता है, वहां दुःख अवश्य ही शांत हो जाता है।
 
* अपनी प्राण-रक्षा के लिए भी जान-बूझकर किसी प्राणी का वध न करें।
 
* जीवन में किसी उद्देश्य या लक्ष्य तक पहुंचने से ज्यादा महत्वपूर्ण उस यात्रा को अच्छे से संपन्न करना होता है।   
 
* बुराई से बुराई कभी खत्म नहीं होती। घृणा को तो केवल प्रेम द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है, यह एक अटूट सत्य है।   
 
* मनुष्य यह विचार किया करता है कि मुझे जीने की इच्छा है मरने की नहीं, सुख की इच्छा है दुख की नहीं। यदि मैं अपनी ही तरह सुख की इच्छा करने वाले प्राणी को मार डालूं तो क्या यह बात उसे अच्छी लगेगी? इसलिए मनुष्य को प्राणीघात से स्वयं तो विरत हो ही जाना चाहिए। उसे दूसरों को भी हिंसा से विरत कराने का प्रयत्न करना चाहिए।
 
* वैरियों के प्रति वैररहित होकर, अहा! हम कैसा आनंदमय जीवन बिता रहे हैं, वैरी मनुष्यों के बीच अवैरी होकर विहार कर रहे हैं!
 
* पहले तीन ही रोग थे- इच्छा, क्षुधा और बुढ़ापा। पशु हिंसा के बढ़ते-बढ़ते वे अठ्‍ठान्यवे हो गए। ये याजक, ये पुरोहित, निर्दोष पशुओं का वध कराते हैं, धर्म का ध्वंस करते हैं। यज्ञ के नाम पर की गई यह पशु-हिंसा निश्चय ही निंदित और नीच कर्म है। प्राचीन पंडितों ने ऐसे याजकों की निंदा की है। 
 
* भगवान्‌ बोले- 'भिक्षुओं! महाचर्मों को, सिंह, बाघ और चीते के चर्म को नहीं धारण करना चाहिए। जो धारण करे, उसे दुक्कट (दुष्कृत) का दोष होता है।'

ALSO READ: बुद्ध जयंती कब है, जानिए कौन थे महात्मा बुद्ध

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख