बौद्ध धर्म से इस शिक्षण संस्थान के प्रमुखता से जुडे होने के पश्चात भी यहां हिन्दू तथा जैन मतों से संबंधित अध्ययन कराए जाने के संकेत मिलते हैं, साथ ही साथ वेद, विज्ञान, खगोलशास्त्र, सांख्य, वास्तुकला, शिल्प, मूर्तिकला, व्याकरण, दर्शन, शल्यविद्या, ज्योतिष, योगशास्त्र तथा चिकित्साशास्त्र भी पाठ्यक्रम में शामिल थे। इससे पता चलता है कि बौद्ध शासन होने के बावजूद बौद्धों ने कभी दूसरे धर्मों के अनुयायियों के साथ भेदभाव नहीं किया था।