वर्ष 2011-12 के बजट से आईटी क्षेत्र को मायूसी हाथ लगी है क्योंकि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इस क्षेत्र के लिए कोई खास घोषणा नहीं की।
आईटी कंपनियाँ कर की दरों में कमी किए जाने और एसटीपीआई के तहत उपलब्ध कर रियायतें जारी रखे जाने की उम्मीद कर रही थीं। आज लोकसभा में आम बजट पेश करते हुए मुखर्जी ने कहा कि मैं न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) की दर मौजूदा 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव करता हूँ।
हालाँकि, सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) स्कीम आगे नहीं बढ़ाई गई। इस स्कीम के तहत निर्यातोन्मुखी इकाइयों को आयकर अधिनियम की धारा 10ए और 10बी के तहत लाभ पर कर छूट मिलता है। पिछले बजट में इस स्कीम की अवधि मार्च, 2011 तक के लिए बढ़ा दी गई थी।
टीसीएस के मुख्य वित्तीय अधिकारी एस. महालिंगम ने कहा कि कुल मिलाकर यह एक अच्छा बजट है। लेकिन वित्त मंत्री आईटी क्षेत्र पर और ध्यान दे सकते थे। बजट प्रस्ताव में आईटी क्षेत्र के लिए कुछ नया नहीं है।
हालाँकि, भारतीय कंपनियों की विदेशी अनुषंगियों को होने वाली आय पर कर में कटौती की गई है। उन्होंने कहा कि यह निराशाजनक है कि बजट में एसटीपीआई लाभ को आगे नहीं बढ़ाया गया। (भाषा)