आज के परिदृश्य में समाज कार्य एक पूर्णरूपेण पेशा बन गया है जिसमें उच्च प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स समाज और समुदाय की बेहतरी के लिए अपनी सेवाएँ प्रदान करते हैं। समाज कार्य के प्रति जो आकस्मिक व्यवहार जुड़ा था, उसे गंभीर पेशान्मुखी व्यवहार ने प्रतिस्थापित कर दिया है। जिन लोगों के मन में गरीबों, असहायों और उपेक्षितों के प्रति संवेदना है वे आमतौर पर इस करियर का चयन करते हैं। लेकिन यह कार्य उन लोगों के लिए है जिनमें प्रतिकूल कार्य स्थितियों में कठोर परिश्रम करने की क्षमता रखते हैं।
योग्यताएँ : विभिन्न संस्थानों द्वारा समाज कार्य के अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। समाज कार्य से जुड़े विभिन्न पाठ्यक्रम उनकी अवधि तथा अर्हता निम्नानुसार हैः-
2. मास्टर ऑफ सोशल वर्क/ एमए (सोशल वर्क) अवधि- 2 वर्ष; पात्रता : किसी भी विषय के स्नातक आवेदन कर सकते हैं, लेकिन जिन्होंने स्नातक स्तर पर समाज शास्त्र अथवा समाज विज्ञान विषय लिया हो, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।
आज के परिदृश्य में समाज कार्य एक पूर्णरूपेण पेशा बन गया है जिसमें उच्च प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स समाज और समुदाय की बेहतरी के लिए अपनी सेवाएँ प्रदान करते हैं। समाज कार्य के प्रति जो आकस्मिक व्यवहार जुड़ा था।
3. एम.फिल पात्रता : जिन प्रत्याशियों ने एमएसडब्ल्यू पूर्ण कर लिया हो, वे इस पाठ्यक्रम के लिए आवेदन कर सकते हैं।
4. पीएचडी ; पात्रता : एमएसडब्ल्यू अथवा एमफिल उत्तीर्ण छात्र समाज कार्य में डॉक्टोरेट कर सकते हैं।
समाज कार्य के पाठ्यक्रम संचालित करने वाले प्रमुख संस्थान 1. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल वेलफेयर एंड बिजनेस मैनेजमेंट, कोलकाता विश्वविद्यालय।
2. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, पोआ 8313, सायन ट्राम्बे रोड, देवनार, मुंबई-400088।
3. पाल्ली संगठन विभाग (रूरल रिकंस्ट्रक्शंस कॉलेज) विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांति निकेतन-731235।
7. कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, गुरु नानक खालसा कॉलेज, यमुना नगर, समाज कार्य विभाग, कुरुक्षेत्र-132119।
8. मद्रास स्कूल ऑफ सोशल वर्क, इग्मोर, चेन्नई।
9. कर्वे इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, पूना विश्वविद्यालय, पुणे।
10. स्कूल ऑफ सोशल वर्क, ओल्ड सीहोर रोड, इंदौर।
प्रोफेशनल सोशल वर्क एसोसिएशंस
प्रोफेशनल सोशल वर्कर्स के लिए कुछ अंतरराष्ट्रीय विनियामक निकाय अर्थात इंटरनेशनल रेगुलेटरी बॉडी कार्यरत हैं। इनमें से दो इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ सोशल वर्कर्स (आईएफएसडब्ल्यू) और इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ स्कूल्स ऑफ सोशल वर्क।
राष्ट्रीय स्तर पर इस व्यवसाय के विनियमन हेतु निम्नलिखित संगठन कार्यरत हैं :
नेशनल एसोसिएशन ऑफ सोशल वर्कर्स (यू.एस.)। द ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ सोशल वर्कर्स (यू.के.)। द ऑस्ट्रेलियन एसोसिएशन ऑफ सोशल वर्कर्स (ऑस्ट्रेलिया)। प्रोफेशनल सोशल वर्कर्स एसोसिएशन (भारत)।
दिलचस्प बात यह है कि एचटीएमटी, फर्स्टसोर्स और इन्फोविजन जैसी बीपीओ कंपनियाँ विप्रो बीपीओ जैसी कंपनियों के मार्फत अपना काम करवा रही हैं। गौरतलब है कि इन बीपीओ कंपनियों का ज्यादातर काम एक्सपोर्ट से संबंधित है।
रुपए की मजबूती के बाद इन कंपनियों ने भारतीय बाजारों की तरफ रुख करना शुरू किया है। इन कंपनियों में कर्मचारियों की तादाद 3000 से 9000 के बीच है। अगले 2-3 साल में इस आँकड़े में काफी बढ़ोतरी की उम्मीद है।