आधुनिक हिंदी के विकास में अपनी सृजनात्मक आलोचना से उल्लेखनीय योगदान देने वाले लेखकों में डॉ. विजय बहादुर सिंह का नाम अग्रगण्य है। नियमित लेखन के साथ विजय बहादुर सिंह दीर्घ अवधि से शोध और अध्यापन कार्य से भी जुड़े रहे हैं।
लेकिन मुख्यत: एक साहित्य लोचक के रूप में विख्यात डॉ. विजय बहादुर सिंह ने आधुनिक हिंदी कविता और कवियों की सृजनात्मक उपलब्धियों के साथ-साथ हिंदी कथा और उपन्यास साहित्य पर भी अपनी आलोचना प्रस्तुत की है। पेश है 4 भागों में उनका विस्तृत साक्षात्कार। साक्षात्कारकर्ता हैं साहित्यकार राकेश शर्मा।