राजस्थान आजकल खासा चर्चा में है। वहां की गहलोत सरकार में उपमुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष रहे सचिन पायलट ने जिस तरह से अपने बगावती तेवर दिखाए हैं, उससे राजस्थान की राजनीति व कांग्रेस में उथल-पुथल मच गई है।
यद्यपि अभी तक सचिन पायलट ने अपना अगला कदम स्पष्ट नहीं किया है किंतु फिर भी उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर राजनीति के पंडितों से लेकर ज्योतिष के जानकार तक सभी अपने-अपने ज्ञानानुसार कयास लगा रहे हैं। आइए, हम भी 'वेबदुनिया' के पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं सचिन पायलट की कुंडली का ज्योतिषीय विश्लेषण-
*सचिन पायलट की कुंडली-
सचिन पायलट की कुंडली सिंह लग्न व मिथुन राशि की है। लग्न में सूर्य, बुध व शनि स्थित हैं। एकादश भाव अर्थात लाभ स्थान में चंद्र, मंगल व गुरु की युति है। दशमेश शुक्र व्यय भाव में विराजमान है। राहु-केतु क्रमश: दूसरे व 8वें भाव में स्थित हैं।
* सचिन पायलट की कुंडली के शुभाशुभ योग-
सचिन पायलट की कुंडली में बुधादित्य योग, महालक्ष्मी योग व गजकेसरी जैसे राजयोग विद्यमान हैं जिसके फलस्वरूप उन्हें बहुत ही कम आयु में इतनी सफलता प्राप्त हुई। सिंह राशि का जातक सदैव स्वाभिमानी व तेजस्वी स्वभाव वाला होता है। सिंह राशि के जातक का नैसर्गिक स्वभाव होता है कि वह किसी के अधीनस्थ होकर कार्य नहीं कर सकता, जो सचिन पायलट के तेवरों से स्पष्ट जाहिर होता भी है।
महालक्ष्मी योग उन्हें धनाढ्य बना रहा है वहीं वाणी स्थान में स्थित बुध उनकी वाणी में तर्क प्रदान कर रहा है। ऐसा जातक कभी भी अतार्किक बात का समर्थन नहीं करता। ऐसे जातकों को केवल योग्य तर्क द्वारा ही सहमत किया जा सकता है किंतु ऐसे जातक अपनी तर्कयुक्त वाणी के कारण कभी-कभी गंभीर हानि भी उठाते हैं। सचिन पायलट की कुंडली में सभी ग्रह राहु-केतु की परिधि में होने से उनकी कुंडली में 'कुलिक' नामक कालसर्पयोग का निर्माण भी हो रहा है, जो उन्हें जीवन अपेक्षित सफलता से वंचित करेगा। उन्हें सफलता प्राप्ति हेतु कठोर संघर्ष करना होगा।
* पायलट का राजनीतिक भविष्य-
सचिन पायलट की कुंडली की ग्रह स्थितियों के अनुसार सूर्य का अपनी स्वराशि सिंह में स्थित होना उनकी राजनीति में सफलता को दर्शाता है, क्योंकि सूर्य राजसत्ता का प्रतीक होता है वहीं जनता व शासन का प्रतीक शनि भी सूर्य के साथ स्थित है, जो उनके राजनीति में महत्वपूर्ण पदों की प्राप्ति का संकेत करता है किंतु दशमेश शुक्र का शत्रुक्षेत्री होकर व्यय भावगत होना उनके कर्मक्षेत्र में अवरोध का द्योतक है। वहीं उनके कर्मक्षेत्र पर राहु की पूर्ण दृष्टि उन्हें अपने कर्मक्षेत्र में अपेक्षित सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ा संघर्ष करने का संकेत दे रही है।
जीवन में कई बार वे राजनीति के शीर्ष पर पहुंचते-पहुंचते सत्ता से दूर रह सकते हैं। राजयोग के कारण वे राजनीति के केंद्र में तो रहेंगे किंतु मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने के लिए उन्हें अभी प्रतीक्षा के साथ-साथ कठोर संघर्ष से गुजरना होगा।
*विंशोत्तरी दशाओं का संकेत-
अभी वर्तमान में सचिन पायलट शनि की महादशा व दशमेश शुक्र की अंतरदशा के प्रभाव में हैं वहीं प्रत्यंतर दशा गुरु की है। जैसा कि हमने पूर्व में स्पष्ट किया था राहु की दृष्टि उनके कर्मक्षेत्र के लिए हानिकारक है, ठीक उसी प्रकार सचिन पायलट पर जनवरी से चली आ रही राहु की प्रत्यंतर दशा गत 1 जुलाई को ही समाप्त हुई है।
सुधि पाठकगण इस बात को शीघ्र ही समझ लेंगे कि वर्तमान में सचिन पायलट के साथ जो घटनाक्रम हुआ जिसके कारण उन्हें अपना उपमुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष का पद गंवाना पड़ा, उसका बीजारोपण राहु की प्रत्यंतर दशा में ही हो चुका था।
यदि विंशोत्तरी दशाओं का समेकित विश्लेषण कर निष्कर्षत: कहें तो वर्तमान से लेकर वर्ष 2023 तक का समय सचिन पायलट के लिए अनुकूल है। इस अवधि में वे अपनी राजनीति की नई दिशा तय करेंगे। वर्तमान से लेकर वर्ष 2023 तक का समय सचिन पायलट के लिए सफलतादायक प्रतीत हो रहा है किंतु इस समय का यथोचित लाभ प्राप्त करने के लिए उन्हें अशुभ योगों विशेषकर राहु व कालसर्प दोष की शांति करवाना आवश्यक है अन्यथा वे इन दुर्योगों के कारण पुन: सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने से वंचित रह सकते हैं।
(निवेदन- उपर्युक्त विश्लेषण सचिन पायलट की उपलब्ध कुंडली के आधार पर दिया गया है। हम इस कुंडली की प्रामाणिकता का दावा नहीं करते हैं।)