ये आंकड़े बताते हैं कि रोजगार बाजार एक बड़े संकट की चपेट में है और अर्थव्यवस्था गहरी मंदी का सामना कर रही है। कई अर्थशास्त्रियों का कहना है कि एक और सहायता पैकेज के बिना हजारों छोटे व्यवसाय दिवालिया हो जाएंगे जिससे लाखों लोग बेरोजगार होंगे। दूसरी ओर केंद्रीय सरकार और स्थानीय सरकारों को राजस्व में भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। (भाषा)