Omicron पर सरकार अलर्ट! हाई रिस्क देशों से आईं 11 फ्लाइट्स, जांच में 6 कोरोना पॉजिटिव

गुरुवार, 2 दिसंबर 2021 (00:03 IST)
नई दिल्ली। दुनिया में कोरोनावायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर दहशत है। भारत में राहत की बात यह कि अभी तक एक भी मामला सामने नहीं आया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि कोरोनावायरस के ‘ओमिक्रॉन’ स्वरूप को लेकर चिंता के बीच ‘जोखिम वाले’ देशों से बुधवार को भारत पहुंची 11 उड़ानों के 3476 यात्रियों की जांच की गई जिनमें से कोविड-19 के 6 मामले मिले। ओमिक्रॉन वैरिएंट को देखते हुए हाई रिस्क देशों से भारत आने वाले यात्रियों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। सरकार नए वैरिएंट के खतरे को देखते हुए पूरी तरह से अलर्ट है।
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अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए केंद्र सरकार के संशोधित दिशा-निर्देश बुधवार से अमल में आ गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सार्स-कोव-2 (कोरोनावायरस) के नए स्वरूप को चिंता का स्वरूप घोषित किया है। इस वजह से नए दिशा-निर्देश जारी करने पड़े हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि केंद्र की ओर से अंतरराष्ट्रीय मुसाफिरों के लिए जारी जारी दिशा-निर्देश के लागू होने के पहले दिन कोविड से 6 यात्री संक्रमित पाए गए हैं।
 
‘जोखिम वाले’ देशों से बुधवार शाम तक लखनऊ को छोड़कर देश के विभिन्न हवाई अड्डों पर 11 उड़ाने पहुंची जिनमें 3476 यात्री सवार थे। मंत्रालय के मुताबिक सभी 3476 मुसाफिरों की आरटी-पीसीआर पद्धति से जांच की गई और सिर्फ छह यात्री संक्रमित पाए गए। उसने बताया कि संक्रमित पाए गए यात्रियों के नमूनों को संपूर्ण जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए आईएनएसएसीओजी प्रयोगशालाओं में भेजा गया है।
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30 नवंबर को अपडेट सूची के अनुसार 'जोखिम वाले' देशों में यूरोपीय देश, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, बोत्सवाना, चीन, मॉरिशस, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे, सिंगापुर, हांगकांग और इज़राइल हैं।
 
इन देशों के यात्रियों को भारत आगमन पर अतिरिक्त उपायों का पालन करने की जरूरत है। इसमें आगमन के बाद आरटी-पीसीआर पद्धति से जांच कराना भी शामिल है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को देश आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए दिशा-निर्देशों को और संशोधित किया। 
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इसमें कहा गया है कि जो मुल्क 'जोखिम वाले' देशों की सूची में शामिल नहीं हैं वहां आने वाले कुल यात्रियों में से दो प्रतिशत की हवाई अड्डे पर कोविड-19 की जांच औचक आधार पर की जाएगी। संबंधित विमानन कंपनी को प्रत्येक उड़ान से आने वाले उन दो फीसदी लोगों की पहचान करनी होगी, जिनका परीक्षण किया जाना चाहिए और बेहतर हो कि वे अलग अलग देशों से हों। (भाषा)

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