क्यों अब भी जरूरी है एंटी-वायरल मास्क पहनना, जानिए कितने काम का है ये मास्क
कोरोना के संक्रमण काल में मास्क को लेकर भी कई तरह की भ्रांतियां हैं, ऐसे में यह जानना जरूरी है कि एंटी-वायरल मास्क क्या होता है और यह इस वक्त क्यों दूसरे मास्क की तुलना में ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।
दरअसल, पिछले दिनों वैज्ञानिकों ने एंटी-वायरल मास्क को लेकर एक रिसर्च की थी, जिसके बारे में कहा गया था कि एंटी वायरल परत वाला यह नया मास्क कोरोना वायरस को निष्क्रिय कर सकता है। इसे पहनने वाला व्यक्ति संक्रमण के फैलने में की आशंका को बहुत हद तक कम कर देता है।
अब भी जब कोरोना का खतरा इतना ज्यादा नहीं, हालांकि अब भी कुछ जगहों पर इसका खतरा मंडरा रहा है, ऐसे में वैज्ञानिक और विशेषज्ञ अब भी मास्क पहनने की सलाह दे रहे हैं। यह न सिर्फ कोरोना वायरस से बल्कि प्रदूषण से भी बचाएगा।
आइए जानते हैं क्या है एंटी वायरल मास्क...
अमेरिका में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, मास्क के कपड़े में एंटी वायरल रसायन की परत होती है, जो मास्क के बावजूद सांस के जरिए बाहर निकली छोटी बूंदों या कणों को संक्रमण मुक्त रखती है।
प्रयोगशाला में वैज्ञानिकों ने सांस लेने-छोड़ने, छींक, खांसी के अनुकरणों के जरिए यह पता लगाया कि ज्यादातर मास्क में इस्तेमाल होने वाले नॉन-वोवेन कपड़े (लचीले, एक या अधिक कपड़े की परत वाले कपड़े) इस तरह के मास्क निर्माण के लिए सही हैं। यह अध्ययन जर्नल मैटर' में प्रकाशित हुआ था।
इस स्टडी में सामने आया कि 19 फीसदी फाइबर घनत्व वाला एक लिंट फ्री वाइप (एक प्रकार की सफाई वाला कपड़ा) सांस के जरिए बाहर निकली बूंदों या कणों को 82 फीसदी तक संक्रमण मुक्त कर सकता है। ऐसे कपड़े से सांस लेने में कठिनाई नहीं होती है और प्रयोग के दौरान यह भी सामने आया कि इस दौरान मास्क पर लगा रसायन भी नहीं हटा।
एक रिपोर्ट में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शियाजिंग हुआंग ने बताया कि महामारी से लड़ने के लिए मास्क बेहद महत्वपूर्ण है। मास्क की डिजाइन पर काम कर रही टीम का लक्ष्य मास्क पहनने के बाद भी सांस के जरिए बाहर निकली बूंदों में मौजूद वायरस को तेजी से निष्क्रिय करना है।
इस संबंध में कई प्रयोगों के बाद अनुसंधनाकर्ताओं ने इसके लिए एंटी-वायरल रसायन फॉस्फोरिक एसिड और कॉपर सॉल्ट का सहारा लिया। ये दोनों रसायन ऐसे हैं, जो वायरस के लिए प्रतिकूल माहौल तैयार करते हैं।