अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि इस बढ़े हुए खतरे को आइडियोपैथिक थ्रोम्बोसाइटोपिनक प्यूप्यूरा (आईटीपी) के नाम से जानते हैं और आकलन है कि यह स्थिति प्रति 10 लाख खुराक में 11 मामलों में हो सकती है जो फ्लू, खसरा, मम्प रुबेला टीके लगाने पर आने वाले मामलों के बराबर ही है।
अध्ययन में स्कॉटलैंड में टीका लगवा चुके 54 लाख लोगों के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया जिनमें से 25 लाख लोगों को टीके की पहली खुराक मिली थी। अनुसंधानकर्ताओं ने राष्ट्रव्यापी टीकाकरण के बाद इन लोगों में आईटीपी, खून के थक्के जमने और रक्त स्राव की घटनाओं का विश्लेषण किया। यह अनुसंधान पत्र बुधवार को जर्नल नेचर मेडिसिन में प्रकाशित हुआ।(भाषा)