Ground Report : कोरोनावायरस के आगे 'भीलवाड़ा मॉडल' भी फेल, अब जिले में 1200 से ज्यादा एक्टिव केस

नृपेंद्र गुप्ता

शुक्रवार, 28 अगस्त 2020 (15:44 IST)
भीलवाड़ा। कोरोनावायरस (Coronavirus) लॉकडाउन (Lockdown) में भीलवाड़ा मॉडल ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा था। उस समय प्रशासन ने मेडिकल स्टॉफ के साथ बेहतरीन समन्वय के साथ कोरोना के एक्टिव मामलों को शून्य तक पहुंचा दिया था। लेकिन, अनलॉक और बाहर से आने वाले लोगों के कारण एक बार फिर जिले में कोरोना बढ़ गया। वर्तमान में यहं 1200 से भी ज्यादा एक्टिव केसेस हैं। 
 
2439 मरीज, 1171 स्वस्थ : भीलवाड़ा DCMHO धनश्याम चावला ने बताया कि जिले में अब तक 2031 मरीज  सामने आए हैं। इनमें से 1171 स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं जबकि 1240 से ज्यादा एक्टिव मामले हैं। इस महामारी से 28 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा 167 केसेस 26 अगस्त को सामने आए।
 
भीलवाड़ा सिटी फिर बना हॉटस्पॉट : डॉ. चावला ने बताया कि पूरा भीलवाड़ा शहर ही एक बार फिर हॉटस्पॉट बन गया है। शहर को 11 ब्लॉक्स में बांटा गया है। इसमें से 9 ब्लॉक्स में कोरोना के केसेस निकल रहे हैं। जिले में मात्र 30 प्रतिशत मामले लक्षण वाले हैं बाकी 70 प्रतिशत केसेस में कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहा है। बगैर लक्षण वाले  मरीज ज्यादा होने से आम लोगों में भी नाराजगी दिखाई दे रही है, उन्हें लगता है कि हम तो ठीक थे, जांच कराई तो कोरोना निकल गया।

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भारी पड़ा अनलॉक : जब तक देश में लॉकडाउन था तब तक भीलवाड़ा भी बेहतर स्थिति में था। यहां बांगर अस्पताल की चैन थी, इसके अलावा कोई केस नहीं था। लेकिन जैसे ही देश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई, बाहर से लोगों का आना जाना शुरू हो गया और स्थानीय स्तर पर भी लोग अपने घरों से बाजार में निकलने लगे। यहां फिर मामले बढ़ना शुरू हो गए और देखते ही देखते कोरोना ने यहां फिर अपने पैर जमा लिए।
 
डॉक्टर चावला ने बताया कि जून तक शहर में केवल 600 केसेस थे। माइग्रेट्स की संख्‍या बढ़ने के बाद जुलाई और  फिर अगस्त में यहां की स्थिति ज्यादा बिगड़ गई। लोगों में कोरोना का खौफ भी कम हुआ और उन्होंने SMS  (सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सेनेटाइजेशन) का पालन करना भी कम कर दिया। हालांकि प्रशासन लोगों को  जागरूक करने के लिए अभियान चला रहा है, चालान भी बनाए जा रहे हैं। 
 
क्या है स्वास्थ्य विभाग की तैयारी : स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर अपनी टीम के साथ इस स्थिति से निपटने के लिए एक बार फिर जुट गए हैं। ICMR की गाइडलाइंस का पालन किया जा रहा है। शहर में बेड्स की संख्‍या बढ़ाकर  250 कर दी गई है, गंभीर मरीजों के लिए 15 वेंटिलेटर्स का भी इंतजाम किया गया है। जांच की गति बढ़ा दी गई  है।
 
जहां कोरोना मरीज निकल रहे हैं वहां पूरी सतर्कता बरती जा रही है। मरीजों का इलाज भी मुस्तैदी के साथ किया  जा रहा है। जिन्हें होम क्वारंटाइन करना है उन्हें घर पर और शेष मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। परिस्थितियां भले ही विपरीत हों लेकिन डॉ. चावला को भरोसा है कि जल्द ही भीलवाड़ा फिर कोरोना मुक्त हो जाएगा।

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क्यों चर्चा में था भीलवाड़ा मॉडल : मार्च में हॉटस्पॉट बना भीलवाड़ा अप्रैल में पूरी तरह कोरोना मुक्त हो गया था। एक प्लान बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मॉनिटरिंग मैकेनिज्म की व्यवस्था की गई थी। जिनमें पंचायत समिति, ग्राम पंचायत स्तर पर क्रमश: एसडीएम, बीडीओ, टीडीआर, बीसीएमएचओ, डीवाईएसपी, पटवारी, आईएलआर, ग्राम  सचिव, एएनएम, सीनियर सैकेंडरी स्कूल प्रिंसीपल, सरपंच, पंचायत सहायक, टीचर्स एवं आशा सहयोगियों को कोरोना  कैप्टन एवं कोरोना फायटर्स के रूप में तैनात किया गया।
 
इन सभी ने आपसी समन्वय के साथ होम क्वारंटाइन, मेडिकल, फूड सप्लाई, फूड पैकेट्स, माइग्रेंट लेब्रोरेट्री, लॉ एंड  ऑडर सभी कार्य मिलजुल कर किए। घर-घर जाकर सभी प्रकार की राहत सामग्री, खाद्य सामग्री, फल, सब्जी, दूध  आदि सहित सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों का वितरण किया गया।
 
शहर के साथ ही डोर टू डोर ग्रामीण सर्वे भी किया गया। इसमें प्रथम फेज में 1937 टीमों ने 4 लाख 41  हजार 953 घरों का सर्वे किया। जिसमें 22 लाख 22 हजार 752 लोग रहते हैं। इनमें 16 हजार 382 आईएलआई पेशेंट  पाए गए। दूसरे फेज में 31 मार्च से 2 अप्रैल तक भी 1937 टीमों ने कार्य किया। डोर टू डोर सिटी स्क्रीनिंग भी की  गई। इसमें तीन फेज एवं रुटीन सर्वे में 4807 टीमों ने 3 लाख 46 हजार 692 घरों का सर्वे किया, जिनमें 17  लाख 35 हजार 770 लोग रहते हैं। इनमें आईएलआई पेशेंट 4 हजार 961 पाए गए।

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