Vaccination को लेकर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

Webdunia
बुधवार, 10 मार्च 2021 (23:36 IST)
नई दिल्ली। केंद्र ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि बीमारी के खतरे के आधार पर नागरिकों का कोविड-19 टीकाकरण करने फैसला किया गया। यह पेशे के आधार पर नहीं किया जा रहा है तथा सरकार देश की जरूरत को लेकर संवेदनशील है।
 
केंद्र ने उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका के जवाब में एक हलफनामा दाखिल किया है। इसमें न्यायाधीशों, अदालत के कर्मचारियों और वकीलों समेत न्यायिक कामकाज से जुड़े सभी लोगों को 'अग्रिम मोर्चे का कर्मी' घोषित करने का अनुरोध किया गया है ताकि उन्हें प्राथमिकता के आधार पर कोविड-19 टीके की खुराक मिले।
ALSO READ: Coronavirus Vaccination : क्या कोविड COVID-19 टीकाकरण के बाद शराब (Alcohol) पीना घातक है?
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि उसे उम्मीद है कि सरकार नागरिकों और देश की जरूरत को लेकर संवेदनशील होगी और महामारी के कारण अदालत का कामकाज भी प्रभावित हुआ है। 
 
पीठ ने कहा कि न्यायपालिका महत्वपूर्ण इकाई है और राज्य के तीन स्तंभों में से एक है। दूसरे से तुलना ठीक नहीं होगा। इसका कामकाज बाधित हो रहा है। कोई भी इंकार नहीं कर सकता है कि मामलों के निपटारे की क्षमता प्रभावित हुई है। सैकड़ों, हजारों लोग यहां रोज जमा होते हैं। यहां संक्रमण का बहुत ज्यादा खतरा है।
ALSO READ: इंदौर के 46 निजी चिकित्सालयों में लगेगी Corona Vaccine
केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार नागरिकों की जरूरत को लेकर बहुत संवेदनशील है, जो कि मामले में दाखिल हलफनामे से स्पष्ट हो जाएगा और टीकाकरण के मामले में भारत दूसरे देशों से काफी आगे है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे किसी पेशे की दूसरे से तुलना करने का प्रयास नहीं कर रहे हैं और ऐसा करना भी नहीं चाहिए। 
ALSO READ: COVID-19 : देश में 1.8 करोड़ से अधिक लोगों को लगी Corona vaccine
उन्होंने कहा कि तीनों इकाइयों में केंद्र सरकार ने उम्र, जोखिम और रोगों से ग्रस्त होने के आधार पर वर्गीकरण का यह फैसला किया है। कार्यपालिका और विधायिका के लोग भी अभी टीका लेने के हकदार नहीं हैं, जब तक कि उनकी उम्र 60 साल से अधिक न हो या 45 से 59 के बीच विभिन्न रोगों से ग्रस्त होने की श्रेणी में न आते हों।
 
उन्होंने कहा कि पेशे के आधार पर टीका देने के बजाए सरकार कोविड-19 संक्रमण के जोखिम के आधार पर टीकाकरण अभियान चला रही है। उच्च न्यायालय ने मामले को 19 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया है। उच्च न्यायालय ने 4 मार्च को केंद्र सरकार से पूछा कि वह कोविड-19 का टीका पाने के लिए विशिष्ट वर्गीकरण किए जाने के पीछे का कारण बताए। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख