हालांकि क्लीनिकल ट्रायल के लिए पेटेंट जरूरी नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि पेटेंट के बाद वैक्सीन की कोई नकल नहीं कर पाएगा, इसीलिए इसे वैज्ञानिक उपलब्धि की बजाय व्यावसायिक उपलब्धि ज्यादा माना जा रहा है। फिलहाल इस बात का कोई स्पष्ट खुलासा नहीं हुआ है कि वैक्सीन का ट्रायल किस दौर तक पहुंचा है।
दूसरी ओर, सऊदी अरब ने इस महीने कहा था कि वह कैनसाइनो की वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल करने की योजना बना रहा है। कंपनी रूस, ब्राज़ील और चिली से भी बात कर रही है। वैक्सीन के पेटेंट को मंजूरी मिलने का असर कंपनी के शेयरों पर भी देखने को मिला। शंघाई शेयर बाजार में में 6.6 फ़ीसदी की बढ़त दर्ज की गई।