भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है, त्योहारों को हमारे यहां धूमधाम से और हर्षोल्लास से एक साथ मनाने की पंरपरा सदियों से चली आ रही है। सदियों से चली आ रही सार्वजनिक तौर पर त्योहार मनाने की पंरपरा बहुत से लोगों को रोजगार का साधन भी मुहैया कराती है, लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप का सीधा असर इस बार त्योहारों पर पड़ा है।
कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने के खतरे को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने लोगों से घरों में ही गणेश उत्सव मानने की अपील करते हुए सार्वजनिक तौर पर बड़े पांडल बनाने और बड़ी मूर्ति स्थापित करने पर रोक लगा दी है।
गणेश उत्सव और दुर्गापूजा का त्यौहार हमारे यहां सार्वजनिक तौर पर मनाए जाने वाले प्रमुख त्यौहार है। गणेश उत्सव और दुर्गापूजा पर बड़े बड़े आर्कषक पंडाल बनाकर बड़ी-बड़ी मूर्तियों की स्थापना की जाती है। इस साल कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते सरकार ने जब गणेश उत्सव का कार्यक्रम सार्वजनिक तौर पर मनाने पर रोक लगाई तो इसका सीधा असर मूर्तिकारों पर पड़ा है।
मूर्तिकार जो हर साल भगवान गणेश और मां दुर्गा की प्रतिमा बनाकर साल भर अपना घर चलाते है वह अब दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हो गए है। 'वेबदुनिया' से बातचीत मूर्तिकार भरत प्रजापति बताते हैं कि सामान्य तौर पर हम 4-5 महीने पहले मूर्ति बनाना शुरु कर देते है, बड़ी मूर्ति बनाने में लगात बहुत अधिक आती हैं इसलिए बाजार से ब्याज पर पैसा उठाकर मूर्ति बनाने का काम होता है। इस बार भी मूर्ति बनाने के लिए बाजार से ब्याज पर पैसा उठाकर मूर्ति बनाने का काम शुरु कर दिया था लेकिन अब अचानक से सरकार ने बड़ी मूर्तियों के बनाने और पंडाल स्थापित करने पर रोक लगा दी है, जिसके चलते वह अब अधर में फंस गए है।
राजधानी भोपाल के बड़े मूर्तिकारों में शामिल भरत प्रजापति कहते हैं कि हर साल गणेश उत्सव और दुर्गा पूजा में 10- 12 लाख का धंधा कर लेते थे और उसी से साल भर परिवार का खर्चा चलाते थे लेकिन इस बार कमाई का सवाल ही नहीं, चिंता इस बात की हैं कि बाजार से ब्याज पर जो पैसा उठाकर मूर्ति बनाई है वह रकम अब कैसे वापस करेंगे। भरत कहते हैं कि पहले से ही कोरोना के चलते उनका घर चलाना मुश्किल हो गया अब तो भूखे मरने की नौबत आ गई है।
प्रजापति समाज (मूर्तिकार समाज) के अध्यक्ष मोहन प्रजापति कहते हैं मूर्तिकार गणेश जी एवं दुर्गा जी की बड़ी प्रतिमाएं बना चुके हैं उन पर सिर्फ कलर होना बाकी है इससे उनका लाखों रुपए का नुकसान हो गया है और वह भूखे मरने के लिए नौबत आ गई है कर्ज लेकर उन्होंने मूर्तियों का निर्माण किया है।
प्रजापति समाज के लोग जो कि गर्मी में मठ के गमले खप्पर आदि बेचते हैं वह धंधा भी लॉकडाउन के कारण मारा गया, साल में मूर्तिकार गणेश उत्सव एवं दुर्गा उत्सव पर जो भी कमाई होती है उससे साल भर अपने बाल बच्चों का लालन-पालन करते हैं किंतु शासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
वहीं प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पिछले दिनों मूर्तिकारों से अपील की हैं कि वह गणेशजी की छोटी छोटी ऐसी प्रतिमा मनाए जो केवल घरों में स्थापित हो सके। गृहमंत्री के इस अपील पर मूर्तिकारों का कहना हैं कि वह पहले जब गृहमंत्री के पास अपनी समस्या को लेकर गए थे तब उन्होंने मूर्ति बनाने से नहीं रोकने की बात कही थी और अब जब त्यौहार नजदीक आ गया है और उन्होंने मूर्तिया लगभग बना ली है, तब बड़ी मूर्तियों के स्थापित होने पर रोक लगा दी है, इसलिए वह एक बार फिर गृहमंत्री और मुख्यमंत्री को अपनी समस्या को लेकर ज्ञापन सौंपेगे।
वहीं मूर्तिकारों की समस्या को लेकर संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी कहते हैं कि ऐन वक्त पर बड़ी मूर्तियों नहीं बनाने के सरकार के आदेश से मूर्तिकार जो कि मूर्ति बनाने का काम चार महीने पहले से करता है उसके समाने बड़ी समस्या आ गई है। वह सवाल उठाते हुए कहते हैं कि कोरोना की बीमारी क्या केवल धर्मिक आयोजनों से ही फैल रही है।