नई दिल्ली, कोविड-19 के प्रकोप के कारण कई नयी चुनौतियां उभरी हैं। हालांकि, इस महामारी ने अनुसंधान के अवसर भी प्रदान किए हैं, जिससे भारत को इस तरह की चुनौतियों से लड़ने और भविष्य के लिए खुद को तैयार करने में मदद मिल सकती है।
इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए शोध एवं विकास के क्षेत्र में कार्यरत दो प्रमुख संस्थाओं- इंडिया एलायंस और आरटीआई इंटरनेशनल इंडिया के बीच एक नई साझेदारी की गई है, जिससे कोविड-19 से संबंधित प्रतिक्रिया को तेज करने और इससे उबरने से जुड़े प्रयासों की मजबूती के लिए अनुसंधान को बढ़ावा मिल सकता है।
इंडिया एलायंस संस्था को वर्ष 2008 में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और द वेलकम ट्रस्ट, यूनाइटेड किंगडम के बीच एक साझेदारी के रूप में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य भारतीय संस्थानों में जैव-चिकित्सा और स्वास्थ्य विज्ञान में वैज्ञानिक क्षमता का निर्माण और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी अनुसंधान का समर्थन करना है। जबकि, आरटीआई इंटरनेशनल इंडिया 1980 के दशक की शुरुआत से ही भारत को विकास संबंधी चुनौतियों का सामना करने में मदद करने के लिए काम कर रही है।
इस पहल के तहत मुख्य रूप से जिन विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, उनमें टेस्टिंग, निगरानी, संपर्क का पता लगाना, मेडिकल कंसल्टेशन, संवेदनशील समुदायों के बीच स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाओं की पहुंच सुनिश्चत करना, स्वास्थ्य सेवाओं एवं आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती, रिस्क कम्युनिकेशन और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना शामिल है। इसके अलावा, इस कार्यक्रम का उद्देश्य सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के हितधारकों के साथ रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देना है, जिससे एडवोकेसी, नीतिगत सुधार, संसाधन जुटाने में मदद मिल सकती है।
बताया जा रहा है कि इंडिया एलायंस और आरटीआई इंटरनेशनल के बीच यह साझेदारी अकादमिक संस्थानों, उद्योगों और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े शोधकर्ताओं को कोविड-19 से संबंधित शोध कार्यों पर काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगी, जिसके दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकते हैं। इंडिया एलायंस के सीईओ डॉ शाहिद जमील ने कहा है कि "हम आरटीआई इंटरनेशनल इंडिया के साथ साझेदारी से उत्साहित हैं। इससे हमें स्वास्थ्य प्रणालियों और मौजूदा कार्यक्रमों पर कोविड -19 के प्रभाव को समझने और भविष्य के लिए नये समाधान विकसित करने में मदद मिल सकती है।"
आरटीआई इंटरनेशनल इंडिया के निदेशक (स्वास्थ्य) डॉ राजीव टंडन ने कहा है कि “यह साझेदारी भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र को व्यापक रूप से सहयोग करने में सक्षम है। इससे प्रौद्योगिकी आधारित संरचना को विकसित करने में मदद मिल सकती है, जो दीर्घकालिक प्रभाव उत्पन्न करने और उसे बनाए रखने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करने में कारगर हो सकती है।”(इंडिया साइंस वायर)