दिवाली से पहले के सप्ताह में शहर के बाजार हाथ से बने मिट्टी के दीयों से अटे पड़े होते थे और बड़ी संख्या में लोग दीयों के साथ सजीले फूलदान तथा अन्य सजावटी सामान खरीदते देखे जाते थे। हालांकि इस बार कुछ लोग कोविड-19 के भय के बावजूद बाहर निकल रहे हैं, लेकिन बाजार में ग्राहकों की संख्या उतनी नहीं है, जितनी हुआ करती थी।
मिट्टी के दीयों और बर्तनों के बीच बैठी अनिता का कहना है, पहले दिवाली से दो चार सप्ताह पूर्व ही भीड़ आनी शुरू हो जाती थी और हमें सांस लेने का मौका नहीं मिलता था। हम इतने व्यस्त हो जाते थे कि चाय के लिए समय नहीं मिलता था, लेकिन इस साल स्थिति वास्तव में बुरी है।दक्षिण दिल्ली के हौज रानी बाजार में अनिता की अस्थाई दुकान में ढेरों सामान है लेकिन उन्हें खरीदने वाला कोई नहीं है।
उन्होंने कहा, हर साल दिवाली से पहले हमारा सारा सामान बिक जाया करता था लेकिन इस साल लगभग कुछ भी नहीं बिका। दरअसल, लॉकडाउन हटने के बाद से अनिता की दुकान पर ग्राहकों की संख्या नगण्य रही और दिवाली से आठ दिन पहले भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।
कोरोनावायरस के डर ने त्यौहार की खुशी छीन ली है और मिट्टी की कलाकृतियों के दिल्ली के कुछ सबसे लोकप्रिय बाजार व्यापार में तंगी से जूझने पर मजबूर हैं। यह स्थिति ऐसे समय है, जब व्यापार के लिहाज से अमूमन यह मौसम सबसे व्यस्त रहता है।(भाषा)