कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर की संभावना को लेकरर चर्चा तेज हो गई है। कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक बताई जा रही है। कोरोना की तीसरी लहर का बच्चों पर ज्यादा असर होगा इस तरह के सवाल इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर लोगों की आपसी बातचीत में चर्चा के केंद्र में है।
कोरोना की तीसरी लहर और इसके बच्चों के असर को लेकर 'वेबदुनिया' ने भोपाल एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर सरमन सिंह सिंह से जब बात की तो उन्होंने साफ कहा कि कोरोना की तीसरी लहर का केवल बच्चों पर ही असर होगा यह कहना मेरे हिसाब से ठीक नहीं है और न ही इसको कोई वैज्ञानिक प्रमाण है। वह कहते हैं कि तीसरी लहर में बच्चों को इसलिए ज्यादा खतरा रहेगा क्योंकि बच्चे तब तक वैक्सीनेटड नहीं नहीं होंगे और उनकी तुलना अन्य लोगों को वैक्सीन लग चुकी होगी,इसलिए बच्चों पर अधिक खतरा देखा जा सकता है।
वहीं दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉक्टररणदीप गुलेरिया ने सोमवार को कहा कि अब तक दोनों लहर में बच्चों माइल्ड केस ही रहे है ऐसे में जब वायरस वहीं है ऐसे में यह कहना कि अगली वेव में बच्चों में सीरियस केस होंगे या डेथ ज्यादा होगी ये वैज्ञानिक तौर पर सहीं नहीं लगता है।
वहीं 'वेबदुनिया' से बातचीत में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर महेश अग्रवाल कहते हैं कि बच्चों में कोरोना संक्रमण आम तौर पर बहुत माइल्ड स्तर पर होता है। संक्रमण की चपेट में आने वाले 95 से 97 फीसदी से अधिक बच्चे खुद सहीं हो जाते है,केवल एक से दो फीसदी अस्पताल में पहुंचते है।
वह कहते हैं कि अगर बच्चों में संक्रमण के हल्के से भी लक्षण आए तो उनको आइसोलेट करने के साथ माता-पिता भी सावधानी रखे। इसके साथ लक्षणों को लेकर डॉक्टर से लगातार संपर्क में रहने के साथ ऑक्सीजन लेवल और बुखार पर निगरानी रखे। अगर बुखार दो दिन से अधिक समय तक लगातार बना रहे तो बच्चों का डॉक्टरों से परीक्षण कराए और डॉक्टर की सलाह होने पर तुरंत एडमिट करें।
बच्चों में कोरोना के लक्षण-
1-कंपकपी के साथ बुखार आना, दो से तीन दिन तक लगातार हल्का बुखार बने रहना,खांसी ,कफ और नाक बहना
2-बच्चों की मांसपेशियों में दर्द, थकावट और ऊर्जा में कमी।
3-आंखों का लाल होना, सांस लेने में तकलीफ होना और सांसे तेज चलना।
4-शरीर पर नीले या पीले रंग के चकते बनना।
5-पेट की समस्या जैसे पेट में ऐंठन और दर्द होना,भूख न लगना,उल्टियां और दस्त लगना।