Lockdown से भारतीय अर्थव्यवस्था को करोड़ों रुपए के नुकसान की आशंका

Webdunia
सोमवार, 13 अप्रैल 2020 (20:33 IST)
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस (Corona virus) महामारी की रोकथाम के लिए जारी 21 दिन के लॉकडाउन (सार्वजनिक प्रतिबंध) से अर्थव्यवस्था पर 7-8 लाख करोड़ रुपए का असर पड़ सकता है। विश्लेषकों और उद्योग मंडलों ने यह अनुमान जताया है।

इस देशव्यापी बंद में ज्यादातर कारखाने और व्यवसाय में कामकाज ठप है। उड़ानें निलंबित हैं, ट्रेनों का परिचालन बंद है और वाहनों तथा लोगों की आवाजाही को भी प्रतिबंधित किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए 25 मार्च से 21 दिन के देशव्यापी बंद की घोषणा की। इससे 70 प्रतिशत आर्थिक गतिविधियां, निवेश, निर्यात और जरूरी वस्तुओं को छोड़कर अन्य उत्पादों की खपत थम गई है। केवल कृषि, खनन, उपयोगी सेवाएं, कुछ वित्तीय और आईटी सेवाएं तथा जन सेवाओं को ही काम करने की अनुमति मिली है।

सेंट्रम इंस्टीट्यूशनल रिसर्च ने कहा कि यह महामारी ऐसे समय आई जब भारतीय अर्थव्यवस्था में साहसिक राजकोषीय और मौद्रिक उपायों के बाद पुनरुद्धार के संकेत दिख रहे थे। इस संकट के कारण देश फिर से 2020-21 में निम्न एकल दर के वृद्धि दर के रास्ते पर पहुंच गया है।

संगठन ने कहा, देशव्यापी बंद से अर्थव्यवस्था को 7-8 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होने की आशंका है।इस महीने की शुरुआत में एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च लि. ने अनुमान जताया था कि लॉकडाउन से भारतीय अर्थव्यवस्था को 21 दिन के बंद के दौरान प्रतिदिन करीब 4.64 अरब डॉलर (35,000 करोड़ रुपए से अधिक) का नुकसान हो रहा है। इस तरह कोरोना रोक के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को 98 अरब डॉलर (करीब 7.5 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान होगा।

गत 25 मार्च से देशव्यपी प्रतिबंध का ऐलान किया गया जो 14 अप्रैल तक लागू है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के अनुसार, देश में प्रतिबंधों पर 15 अप्रैल से ढील की संभावना है। लेकिन आर्थिक गतिविधियों में लंबे समय तक बाधा बने रहने की आशंका है।

आवागमन से जिन क्षेत्रों पर सर्वाधिक असर पड़ा है, उसमें परिवहन, होटल, रेस्तरां और रीयल एस्टेट गतिविधियां शामिल हैं। प्रधानमंत्री मंगलवार को सुबह 10 बजे देश के नाम अपने संबोधन में लॉकडाउन के बाद की स्थिति के बारे में संभवत: जानकारी देंगे।

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के महासचिव नवीन गुप्ता ने कहा कि प्रतिदन प्रति ट्रक 2,200 रुपए के नुकसान के आधार पर ट्रक परिवहन सेवा व्यवसाय में पहले 15 दिन का नुकसान करीब 35,200 करोड़ रुपए पहुंच गया है।

उन्होंने कहा कि देश के करीब एक करोड़ ट्रकों में से 90 प्रतिशत से अधिक ट्रक सड़कों से नदारद हैं। केवल जरूरी जिंसों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जा रहा है। गुप्ता ने कहा, अगर लॉकाउन को हटाया जाता है तो भी ट्रकों को कामकाज के सामान्य स्तर पर आने में कम-से-कम दो से तीने महीने का समय लगेगा।

एआईएमटीसी 93 लाख ट्रांसपोर्टर और ट्रक चालकों का प्रतिनिधित्व करता है वहीं रीयल्टी कंपनियों के संगठन नेशनल रीयल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (एनआरईडीसी) के अनुसार क्षेत्र में एक लाख करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान जताया है।

एनआरईडीसी के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी से कहा, मेरे हिसाब से अखिल भारतीय स्तर पर मोटा-मोटी एक लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। व्यापारियों के संगठन कैट का अनुमान है कि मार्च के दूसरे पखवाड़े में कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिए देशव्यापी बंद से खुदरा कारोबार में 30 अरब डॉलर का भारी नुकसान हुआ है। देश के खुदरा क्षेत्र में 7 करोड़ छोटे, मझोले और बड़े कारोबारी हैं।

इस बीच कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने 2020-21 के लिए देश की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम किया है। विश्वबैंक ने रविवार को कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि दर 2020-21 में 1.5 प्रतिशत से 2.8 प्रतिशत रह सकती है। 1991 में आर्थिक सुधारों के बाद से यह सबसे धीमी वृद्धि दर होगी।

एशियाई विकास बैंक ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2020-21 में 4 प्रतिश्त जबकि एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। सेन्ट्रम इंस्टीट्यूशनल रिसर्च ने भी 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर अनुमान 5.2 प्रतिशत से कम कर 3.1 प्रतिशत कर दिया है। (भाषा) 

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