मुख्य न्यायाधीश विक्रमनाथ की अगुवाई वाली खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिए। अदालत ने कहा कि ऐसे लोगों को ऐसे केंद्रों पर 5 से 15 दिनों तक रोज़ 4 से छह घंटे तक सफ़ाई, खाना बनाने, डाटा और अन्य रिकॉर्ड आदि में मदद जैसे ग़ैर मेडिकल सेवा के कार्य में लगाना चाहिए। ऐसा करते समय उम्र, लिंग आदि का ध्यान रखा जाना चाहिए।
अदालत ने कहा कि यह सज़ा उस आर्थिक दंड के अतिरिक्त होगी, जो इसके लिए पहले से तय हैं। ज्ञातव्य है कि कोरोना के फिर से बढ़ते मामलों के बीच राज्य सरकार ने सार्वजनिक स्थान पर मास्क नहीं पहनने पर दंड की राशि बढ़ा कर 1000 रुपए कर दी है।
राज्य में अब तक कोरोना के 2 लाख 10 हज़ार से अधिक मामले आए है, जिनमें से करीब 15 हज़ार सक्रिय हैं। अब तक 4 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। अदालत ने राज्य सरकार से अपने निर्देश के अनुपालन के मामले में एक रिपोर्ट 24 दिसंबर तक जमा करने के आदेश भी दिए हैं।