उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुधार करने से यौन हिंसा से जुड़े मामलों में एक अधिक संतुलित और सशक्त दृष्टिकोण विकसित होगा। उन्होंने कहा कि अदालतों में महिला जजों की संख्या, उनके हकों पर ध्यान दिया जाए, ताकि महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध और उनसे जुड़े मामलों में सख्ती बरती जा सके।
एटॉर्नी जनरल ने उदाहरण देते हुए कहा है कि शीर्ष अदालत में केवल दो महिला जज हैं, जबकि यहां न्यायाधीशों की स्वीकृत सीटें 34 हैं। आजादी के इतने साल बाद तक कोई महिला भारत की मुख्य न्यायाधीश नहीं बन सकी है।
वेणुगोपाल ने कहा है कि पूरे देश में उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में 1113 न्यायाधीशों के कुल स्वीकृत पदों में से केवल 80 महिला न्यायाधीश हैं। इन 80 महिला जजों में से दो उच्चतम न्यायालय में और अन्य 78 विभिन्न उच्च न्यायालयों में हैं, जो कुल न्यायाधीशों की संख्या का केवल 7.2 प्रतिशत है।