कोरोना वायरस के दौर में कई नए शब्दों को जन्म दिया। आजकल ऐसा ही एक शब्द चर्चा में है ‘हर्ड इम्युनिटी। इस नए शब्द के बारे में हर कोई जानना चाहता है। आइए जानते हैं आखिर क्या है ‘हर्ड इम्यूनिटी’?
हर्ड का अर्थ अंग्रेजी में झुंड होता है और हर्ड इम्युनिटी यानी सामुहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता। कोरोना वायरस में सबसे ज्यादा चर्चा फिलहाल ‘इम्युनिटी’ की है। यानी जब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक हमें अपनी इम्युनिटी को ही मजबूत रखना होगा।
फिलहाल कई देशों में इसी पर बहस और शोध हो रहे हैं कि लोगों की इम्युनिटी कैसे बढ़ाई जाए।
‘हर्ड इम्युनिटी’ होने का मतलब है कि एक बड़े हिस्से या आमतौर पर 70 से 90 फीसदी लोगों में किसी वायरस से लड़ने की ताकत को पैदा करना। ऐसे लोग बीमारी के लिए इम्यून हो जाते हैं। जैसे-जैसे इम्यून (रोगप्रतिरोधक क्षमता) वाले लोगों की संख्या में इजाफा होता जाएगा। वैसे-वैसे वायरस का खतरा कम होता जाएगा। इस वजह से वायरस के संक्रमण की जो चेन बनी हुई है वो टूट जाएगी। यानी वो लोग भी बच सकते हैं जिनकी इम्युनिटी कमजोर है।
क्यों जरुरी है ‘हर्ड 'इम्युनिटी’
दरअसल किसी भी वायरस को रहने के लिए एक शरीर की जरुरत होती है, तभी वो जिंदा रह पाता है। डॉक्टर या वैज्ञानिक की भाषा में वायरस को एक नया होस्ट चाहिए। ऐसे में वायरस कमजोर इम्यूनिटी वाला शरीर ढूंढता है। जैसे ही उसे वो मिलता है उसे संक्रमित कर देता है। ऐसे में अगर ज्यादातर लोगों की इम्यूनिटी मजबूत होगी तो वायरस को शरीर नहीं मिलेगा और वो एक वक्त के बाद खुद ब खुद ही नष्ट हो जाएगा। क्योंकि वायरस की भी एक उम्र होती है, उसके बाद वो मर जाता है।
कैसे काम करती है ‘हर्ड इम्युनिटी’
हर्ड इम्युनिटी वायरस को रोकने में दो तरह से काम करती है। 80 फीसदी लोग अगर अच्छे इम्यून सिस्टम वाले हैं तो 20 फीसदी लोगों तक यह वायरस नहीं पहुंच पाएगा। इसी तरह अगर किन्हीं कारणों से इन 20 प्रतिशत लोगों को वायरस का संक्रमण हो जाता है तो वह बाकी 80 प्रतिशत तक नहीं पहुंचेगा क्योंकि वे पहले से अच्छे इम्यून सिस्टम वाले हैं।