ICMR प्रमुख बलराम भार्गव की सलाह, उपचार में सावधानी जरूरी, नहीं तो वायरस के स्वरूप में हो सकता है बदलाव
मंगलवार, 29 दिसंबर 2020 (23:11 IST)
नई दिल्ली। नए प्रकार के कोरोनावायरस को लेकर चिंताएं बढ़ने के बीच आईसीएमआर (ICMR) के प्रमुख ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 के इलाज के लिए उपचार पद्धति के इस्तेमाल में सावधानी बरतना जरूरी है अन्यथा वायरस की प्रतिरक्षा पर दबाव बन सकता है और इससे उसके स्वरूप में बदलाव आ सकता है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के प्रमुख बलराम भार्गव ने कहा कि वायरस के स्वरूप में कुछ समय पर बदलाव होते रहता है, लेकिन कई बदलावों के बाद यह चिंता का कारण बन सकता है, जैसा कि ब्रिटेन में कोरोनावायरस के नए स्वरूप के मामले में हुआ है। यह करीब 60 प्रतिशत ज्यादा संक्रमण फैलाता है। भार्गव ने कहा कि यह चिंता की बात है। हम नए स्वरूप का पता लगाने के लिए देश में लगातार जांच कर रहे हैं।
आईसीएमआर के प्रमुख ने कहा कि वायरस की प्रतिरक्षा पर बहुत ज्यादा दबाव के कारण इसके स्वरूप में बदलाव आने लगता है। उन्होंने कहा कि प्रतिरक्षा पर दबाव पर्यावरण, संक्रमण के वाहक, उपचार या कई अन्य कारणों से हो सकता है। इसलिए वैज्ञानिक बिरादरी के दृष्टिकोण पर ध्यान देना जरूरी है कि वायरस के प्रतिरक्षा तंत्र पर बहुत दबाव नहीं डाला जाए।
उन्होंने कहा कि हमें फायदा पहुंचाने वाले उपचार का सावधानी से इस्तेमाल करना होगा। अगर फायदा नहीं होता है तो हमें दूसरी पद्धति का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, अन्यथा इससे वायरस के प्रतिरक्षा तंत्र पर बड़ा दबाव पड़ता है और इसके स्वरूप में बदलाव आ जाता है।
नए प्रकार के कोरोनावायरस के मामलों के मद्देनजर क्या टीका प्रभावी होगा? इस पर भार्गव ने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि टीका वायरस को रोकने में कारगर होगा। निर्माण के अग्रिम चरण में पहुंच चुके ज्यादातर टीके एस-प्रोटीन और एमआरएनए को निशाना बनाते हैं। उपलब्ध आंकड़ों से हमें पता चला है कि ये टीके कारगर रहेंगे। हमें टीकाकरण के दौरान प्रतिरक्षा पर गौर करना होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि ब्रिटेन से भारत आए 6 लोगों के नए प्रकार के कोरोनावायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है।
डेनमार्क, नीदरलैंड्स, ऑस्ट्रेलिया, इटली, स्वीडन, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी, कनाडा, जापान, लेबनान और सिंगापुर में भी वायरस के नए स्वरूप से संक्रमण के मामले आए हैं।
कोविड से मरने वालों में 70 प्रतिशत पुरुष : स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि देश में कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले लोगों में करीब 45 प्रतिशत की उम्र 60 वर्ष से कम थी, वहीं मृतकों में करीब 70 प्रतिशत पुरुष थे। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कुल संक्रमितों में 63 प्रतिशत पुरुष और 37 प्रतिशत महिलाएं हैं।
उन्होंने कहा कि 8 प्रतिशत मामलों में संक्रमितों की उम्र 17 वर्ष से कम थी जबकि 18-25 वर्ष आयु वर्ग में 13 प्रतिशत, 26-44 वर्ष आयु समूह में 39 प्रतिशत, 45-60 वर्ष आयु समूह में 26 प्रतिशत तथा 60 साल से ऊपर उम्र वाले लोगों में 14 प्रतिशत मामले सामने आए। भूषण ने बताया कि कोविड-19 के कारण अब तक हुई मौतों में से 45 प्रतिशत पीड़ित 60 वर्ष से कम आयु थे और इस बीमारी के कारण जान गंवाने वालों में 70 प्रतिशत पुरुष थे।
भूषण द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार कोविड के कारण हुई मौतों में करीब 55 प्रतिशत मामलों में पीड़ितों की उम्र 60 साल और उससे अधिक थी जबकि 45 से 60 वर्ष के आयु वर्ग में 33 प्रतिशत, 26-44 वर्ष आयु वर्ग में 10 प्रतिशत और 18-25 साल से कम उम्र के लोगों के बीच यह दर 1 प्रतिशत रही। उन्होंने कहा कि कोविड-19 से पीड़ित 2.7 लाख लोगों का इलाज चल रहा है और यह संख्या 6 महीने के बाद कम हो रही है। संचयी सकारात्मकता दर 6.02 प्रतिशत है जबकि पिछले सप्ताह सकारात्मकता दर 2.25 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कुल उपचाराधीन मरीजों में 60 प्रतिशत महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ में हैं। भूषण ने आगे कहा कि प्रति 10 लाख आबादी पर भारत में मामलों की संख्या 7,408 है। दुनिया के कम देशों में यह दर इतनी कम है, वहीं प्रति 10 लाख आबादी पर मौतों की संख्या 107 है।
जल्द शुरू होगा टीकाकरण : कोरोनावायरस संक्रमण के टीकाकरण अभियान की तैयारियों एवं कार्यप्रणाली का आकलन करने के लिए आंध्रप्रदेश, पंजाब, गुजरात एवं असम में सफलतापूर्वक पूर्वाभ्यास का आयोजन किया गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में जल्दी ही कोविड-19 टीकाकरण शुरू होने की उम्मीद है।
इस पूर्वाभ्यास का आयोजन आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले, गुजरात के राजकोट एवं गांधीनगर, पंजाब के लुधियाना एवं शहीद भगत सिंह नगर (नवांशहर) तथा असम के सोनितपुर एवं नलबाड़ी जिलों में सोमवार एवं मंगलवार को किया गया।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि जिला प्रशासनों की तरफ से विभिन्न कार्यों के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया था। इसमें डमी लाभार्थियों का डाटा अपलोड करना, स्थान का निर्धारण करना, टीके का आवंटन, लाभार्थियों एवं टीका देने वालों को टीकाकरण का विवरण देना तथा अन्य कार्य शामिल हैं। पूर्वाभ्यास के पहले दिन फील्ड फीडबैक की समीक्षा 29 दिसंबर को संयुक्त सचिव (जनस्वास्थ्य) द्वारा राज्य और जिला कार्यक्रम अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए की गई।
मंत्रालय ने बताया कि सभी राज्यों ने देशभर में बड़ी संख्या में लोगों को शामिल करने के लिए अपेक्षित टीकाकरण प्रक्रियाओं की पारदर्शिता एवं प्रभावी निगरानी सुनिश्चित करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंच के इस्तेमाल के संदर्भ में संतोष व्यक्त किया। इसने बताया कि को-विन प्लेटफॉर्म को और बेहतर बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंच पर अतिरिक्त सुझाव को भी नोट किया गया। प्राप्त विस्तृत राय से परिचालन दिशा-निर्देशों एवं आईटी मंच को समृद्ध करने और कोविड-19 टीकाकरण की योजना को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। इस पूर्वाभ्यास का उद्देश्य को-विन के कार्यान्वयन की शुरुआत करना और इसके कार्यों की पुष्टि करना भी था। (भाषा)