नई दिल्ली। भारतीय रेलवे (indian railways) ने कोविड-19 (Covid-19) महामारी को फैलने से रोकने के लिए कोरोनाकाल के बाद के विशेष नए डिब्बे तैयार किए हैं।
मंगलवार को सामने आए इन नए डिब्बों में कोविडमुक्त यात्री सफर के लिए ऐसी सुविधाओं पर जोर दिया गया है जिन्हें पैरों की मदद से ही संचालित किया जा सकता है। डिब्बों में साबुन डिस्पेंसर के साथ ही शौचालय के फ्लश को भी पैर से संचालित किया जा सकेगा। इसी तरह दरवाजे भी बाजू से खोले जा सकेंगे और चिटकनी पर तांबे की परत चढ़ाई गई है।
अधिकारियों ने कहा कि कपूरथला में रेलवे की उत्पादन इकाई रेल कोच फैक्टरी में डिजाइन किए गए दो डिब्बों में रेलिंग व चिटकनी पर टाइटेनियम डाईऑक्साइड की परत भी चढ़ाई गई है। साथ ही डिब्बे के वातानुकूलन (एसी) पाइप में प्लाज्मा वायु उपकरण का प्रावधान किया गया है।
यह उपकरण आयन युक्त वायु का उपयोग करके एसी डिब्बे के अंदर की हवा और सतहों को जीवाणुरहित कर देगा और इस तरह से डिब्बे को कोविड-19 रोधी बना देगा।
रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा कि भविष्य में सभी डिब्बे इसी तर्ज पर विकसित किए जाएंगे। उन्होंने कहा- 'जहां तक बदलाव संभव होगा, वर्तमान डिब्बों में भी यह सुविधाएं विकसित की जाएंगी। ' इन्हें विकसित करने के लिए रेलवे को प्रति डिब्बा 6-7 लाख रुपए का खर्च आएगा।
दो डिब्बों (एक एसी और दूसरा गैर एसी) का विवरण देते हुए अधिकारियों ने कहा कि इनमें ऐसी व्यवस्था की गई है कि शौचालय के इस्तेमाल के समय एवं हाथ धोने आदि के दौरान हाथों का कम से कम उपयोग किया जाए इसलिए इन्हें पैर संचालित रखा गया है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट में कहा कि भविष्य के लिए तैयार रेलवे : कोरोना वायरस से निपटने के तहत विकसित किए गए पहले 'पोस्ट कोविड कोच' में ऐसी सुविधाएं दी गई हैं, जिनके उपयोग के दौरान हाथ लगाने की आवश्यकता नहीं रहेगी, तांबे की परत चढ़ी रेलिंग और चिटकनी, प्लाज्मा वायु शुद्धिकरण आदि। यह सब कोविड-मुक्त यात्रा के लिए।' रेलवे के मुताबिक, चीजों पर तांबे की परत चढ़ाई गई है क्योंकि इस धातु के संपर्क में आने वाला वायरस कुछ ही घंटों में निष्क्रिय हो जाता है। तांबे में सूक्ष्मजीवरोधी गुण होते हैं।