इस किट में अतिसूक्ष्म चुंबकीय कणों (मैगनेटक नैनो पार्टिकल्स) का इस्तेमाल कर मरीज के गले और नाक से एकत्र किए गए नमूनों के प्रयोगशाला तक पहुंचने के दौरान वायरस के आरएनए को होने वाले नुकसान की आशंका को समाप्त कर दिया गया है। इस किट से जहां जांच के नतीजे और बेहतर आएंगे, वहीं इस किट के लिए आयात पर निर्भरता भी समाप्त हो जाएगी।
इस किट को ‘चित्रा मैग्ना’ नाम दिया गया है। इसे श्री चित्रा तिरुनाल चिकित्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के डॉ. अनूप टेक्कूविट्टिल की टीम ने तैयार किया है। इसकी प्रौद्योगिकी केरल की स्थानीय कंपनी अगप्पे डायग्नोस्टिक्स को हस्तांतरित की गई है। संस्थान ने इस प्रौद्योगिकी के पेटेंट के लिए भी आवेदन कर दिया है।