देशव्यापी लॉकडाउन के दूसरे चरण के 13वें दिन यहां ओरछा गेट इलाके में एक कोरोना संक्रामित महिला के मिलने के बाद प्रशासन ने इस इलाके से लगते पूरे क्षेत्र को सील कर दिया है और शहर के दूसरे हिस्सों में संक्रमण के प्रसार पर प्रभावी नियंत्रण लगाने के उद्देश्य से ही ऐतिहासिक लक्ष्मीगेट के दोनों दरवाजों को पूरी तरह बंद करने का फैसला प्रशासन ने किया।
प्रभावित इलाके में जरूरी साजोसामान मुहैया कराने की प्रक्रिया भी सुचारु रखने के लिए सागर गेट का एक ही दरवाजा बंद किया गया है, लेकिन प्रभावित क्षेत्र में किसी तरह की गैरजरूरी आवाजाही पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है ताकि लोग सुरक्षित रह सकें।
कोरोना महामारी ने एक ओर पूरी दुनिया में मौत का कहर तो बरपाया है साथ ही मानवजाति को कई सबक भी सिखाए हैं, इन्हीं में एक बड़ा सबक है अपनी पुरानी धरोहरों को संजोकर और संभालकर रखना बेहद जरूरी है। यह सबक झांसी की जनता और प्रशासन को भी इस महामारी ने सिखाया है।
किले और किले के चारों ओर बने परकोटे में बने 10 दरवाजों और 12 खिड़कियों को दुश्मनों से अपने लोगों की रक्षा के लिए बनाया गया था और निर्माण काल से ही इन संरचाओं ने अपने महत्व को साबित भी किया है। सबसे पहले 1857 में झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से अपने लोगों की रक्षा के लिए किले में बने इन दरवाजों और खिड़कियों को बंद करने का फैसला किया था और इसी के तहत लक्ष्मीगेट भी बंद किया गया था।
इन तीनों उदाहरणों से साफ है कि जब भी नगर पर संकट के बादल मंडराए हैं तो दुश्मन चाहे वह अंग्रेजों जैसे प्रत्यक्ष हों या फिर कोरोना जैसा अप्रत्यक्ष, अपने लोगों को बचाने के लिए शहर की सुरक्षा के मजबूत प्रहरी रहे इन दरवाजों खिड़कियों ने अपनी प्रासंगिकता साबित की है, लेकिन आधुनिकता की अंधी दौड़ में कहीं न कहीं शासन, प्रशासन और लोग भी अपनी इन धरोहरों का महत्व भूलते जा रहे थे।
इसी कारण किले का परकोटा अतिक्रमण की मार झेलते हुए अपने अस्तित्व को निरंतर खोता जा रहा है। इसी तरह 10 दरवाजे लक्ष्मी गेट, दतिया गेट, ओरछा गेट, सैंयर गेट, झरना गेट, बड़ागांव गेट, भांडेरी गेट, सागर गेट, उन्नाव गेट और खिड़कियां गणपत खिड़की, सूजेखां की खिड़की, सागर खिड़की, पचकुइयां खिड़की, बिलैया खिड़की, अलीगोल खिड़की और भैंरो खिड़की सहित 12 खिड़कियां भी जर्जर और क्षतिग्रस्त हालत में हैं। पहले नगर पालिका और अब नगर निगम की अनदेखी इन ऐतहासिक धरोहरों को नष्ट होने की कगार पर पहुंचा रही है।