नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस आत्मविश्वास के साथ कोरोना वायरस (Corona virus) कोविड-19 से लड़ने के लिए लॉकडाउन लागू किया वह अब उनकी कमजोर नीति का प्रतीक बन गया है और इससे साबित हो गया है कि लॉकडाउन जल्दबाजी में तथा बिना सोचे-समझे लगाया गया है एवं इससे बाहर आने की सरकार के पास अब कोई रणनीति नहीं है।
श्रीमती गांधी ने यहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोरोना, इससे पैदा हुए हालात तथा आर्थिक स्थिति जैसे कई मुद्दों पर 22 विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक की अध्यक्षता करते हुए शुक्रवार को कहा कि सरकार कोरोना की लड़ाई में अपनी नीतियों के कारण नाकामयाब साबित हो रही है।
कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और अब ऐसा लगाता है कि सरकार के पास लॉकडाउन के मापदंडों को लेकर निश्चित नीति नहीं थी और अब इससे बाहर निकलने की भी उसके पास कोई रणनीति नहीं है जिसे देखते हुए लगता है कि कोरोना के इलाज का टीका बनने तक यह महामारी हमारा पीछा छोड़ने वाली नहीं है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कोरोना से निपटने की रणनीति बनाने तथा लॉकडाउन की असफलता को लेकर सरकार पर हमला किया और कहा, लॉकडाउन के दो लक्ष्य हैं- बीमारी को रोकना और आने वाली बीमारी से लड़ने की तैयारी करना, पर आज संक्रमण बढ़ रहा है और हम लॉकडाउन खोल रहे हैं।
क्या इसका मतलब यह है कि यकायक बग़ैर सोचे यह लॉकडाउन लागू किया गया और इसी से सही नतीजा नहीं आया। लॉकडाउन से करोड़ों लोगों को ज़बरदस्त नुक़सान हुआ है।उन्होंने लॉकडाउन के कारण मजदूरों की दुर्दशा को लेकर भी सरकार पर तीखा प्रहार किया।
उन्होंने कहा,अगर आज उनकी मदद नहीं की, उनके खातों में 7500 रुपए नहीं डाले, अगर राशन का इंतज़ाम नहीं किया, अगर प्रवासी मज़दूरों, किसानों और सूक्ष्म, मध्यम और मझौले उद्योगों-एमएसएमई की मदद नहीं की तो आर्थिक तबाही हो जाएगी।(वार्ता)