लगभग पिछले 10 दिनों से नीमच जिले सहित संपूर्ण देश में लॉकडाउन है, जिस कारण एक शहर से दूसरे शहर में भी कई ऐसी आवश्यक वस्तुएं हैं जिनकी सप्लाई नहीं हो पा रही है। इनमें से ही एक अतिआवश्यक वस्तु दवाई है। नीमच जिले के आसपास के ग्रामीण क्षेत्र भी दवाइयों की जरूरत के लिए नीमच जिले के होलसेलरों और रिटेलरों पर निर्भर करते हैं।
प्राप्त जानकारी अनुसार जो लोग पहले हफ्ते 10 दिन की दवाई लेते थे, वह लॉकडाउन के बाद तीन-तीन महीने की दवाई लेकर जा रहे हैं, ऐसे में जितनी दवाई की खपत 10 लोग करते थे, उतनी खपत 1 व्यक्ति ही कर रहा है। इस कारण रिटेलर एवं होलसेल के ऊपर भी दबाव बनता जा रहा है। आमजन के दवाइयां स्टॉक करने के कारण रिटेलर और होलसेलर भी चिंतित नजर आ रहे हैं।
इस मामले में जब हमने आरटीआई कार्यकर्ता एडवोकेट अमित शर्मा से बात की तो उनका कहना था नीमच जिला अपनी दवाइयों की पूर्ति के लिए पूरी तरह से इंदौर पर निर्भर है, परंतु वर्तमान समय में इंदौर से होलसेलरों के पास दवाई नहीं आने के कारण कुछ दवाइयों की कमी आने लगी है। भले ही सरकार एवं प्रशसन द्वारा दवाइयों की सप्लाई एवं बिक्री पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई है, बावजूद इसके आमजनता द्वारा दवाइयों का लंबा स्टॉक करने से बाजार में कुछ दवाइयां कम होती नजर आ रही हैं।
यदि कुछ समय के लिए भी बाजार में आवश्यक दवाइयों की कमी होती है तो आमजन के साथ-साथ शासन प्रशासन को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं दवाओं के होलसेल कारोबारी जयराम मूलचंदानी कहते हैं नीमच जिले में जो दवाइयां इंदौर से आती थीं, वह अधिकतर बसों के माध्यम से होलसेलरों के पास पहुंचती थीं, परंतु बसों के बन्द हो जाने के कारण भी दवाइयां शहर में नहीं पहुंच पा रही हैं।
ऐसे में जिला प्रशासन को तत्काल प्रभाव से मेडिकल स्टोर्स संचालकों एवं होलसेलरों की बैठक लेकर वस्तुस्थिति का जायजा लेना चाहिए एवं इस प्रकार से आमजन को रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली दवाइयां आसानी से उपलब्ध हों इसकी व्यवस्था करनी चाहिए।