एक अन्य वैज्ञानिक ने कहा कि ‘सभी इंफ्लुएंजा डेटा की साझेदारी पर वैश्विक पहल’ (जीआईएसएआईडी) के मुताबिक अन्य देशों की तुलना में भारत में कोरोना वायरस में अब तक अधिकतम अंतर 0.2 से 0.9 प्रतिशत के बीच पाया गया है। जीआईएसएआईडी सभी इंफ्लुएंजा वायरस अनुक्रम और संबद्ध चिकित्सीय एवं महामारी के आंकड़े साझा करता है।
इसने दुनिया भर में विभिन्न प्रयोगशालाओं में सार्स-कोवी2 के 7000 से अधिक पूर्ण जीनोम अनुक्रम रखा है, जहां वायरस को उनके म्यूटेशन के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इस बात की संभावना है कि विभिन्न देशों से भारत पहुंच रहे लोग वायरस के विभिन्न स्वरूप के साथ आ रहे हों।
भारत में वायरस के तीन स्वरूपों का अब तक पता चला है। एक वुहान से है, जबकि अन्य इटली और ईरान से हैं। आईसीएमआर में महामारी एवं संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डॉ. आर गंगाखेड़कर ने इससे पहले कहा था कि म्यूटेशन से टीके के निष्प्रभावी होने की संभावना नहीं है क्योंकि वायरस के सभी उप-प्रकारों की एक जैसी ही एंजाइम होती है। साथ ही, इसमें बहुत तेजी से बदलाव नहीं आ रहा है। कोविड-19 के टीके पर 6 भारतीय कंपनियां काम कर रही है। (भाषा)