संयुक्त राष्ट्र। दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में संघर्ष की स्थिति के कारण इस साल के मध्य तक 7 करोड़ से ज्यादा लोगों को विस्थापित होना पड़ा और कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी के कारण शरणार्थियों की जिंदगी और बदहाल हो गई। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में इस बारे में बताया गया है।
शरणार्थियों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूएनएचसीआर का आकलन है कि वैश्विक स्तर पर इस साल के मध्य तक आठ करोड़ से ज्यादा लोगों को विस्थापित होना पड़ा। यूएनएचसीआर ने जेनेवा में बुधवार को इस बारे में एक रिपोर्ट जारी की।
इस साल की शुरुआत में कहा गया था कि अलग-अलग क्षेत्रों में दमन, संघर्ष की स्थिति और मानवाधिकारों के उल्लंघन के कारण 7.95 करोड़ लोगों को अपने मूल स्थानों से विस्थापित होना पड़ा। इसमें क्षेत्र के भीतर विस्थापित हुए 4.57 करोड़ लोगों, 2.96 करोड़ शरणार्थियों और दूसरे देशों में शरण के लिए मजबूर हुए 42 लाख लोगों के आंकड़े भी शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा, पहले से चल रहे और हालिया संघर्ष की स्थिति और कोरोनावायरस महामारी के कारण 2020 में लोगों के जीवन पर बेहद गंभीर प्रभाव पड़ा। अनुमान के मुताबिक, विस्थापन के लिए मजबूर हुए 7.95 करोड़ लोगों में 3-3.4 करोड़ बच्चे थे जिनकी उम्र 18 साल से कम थी।
यूएनएचसीआर के मुताबिक, सबसे ज्यादा सीरिया (66 लाख), वेनेजुएला (37 लाख), अफगानिस्तान (27 लाख), दक्षिण सूडान (23 लाख) और म्यांमार (दस लाख) में लोग विस्थापित हुए। एजेंसी ने कहा कि लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर होना पड़ा और कोविड-19 महामारी ने उनकी स्थिति और बदतर कर दी।
यूएनएचसीआर ने कहा, महामारी से मानव जीवन के हर एक पहलू पर गंभीर असर पड़ा और वैश्विक स्तर पर आजीविका का भी संकट पैदा हो गया। कोविड-19 के लिए किए गए सख्त उपायों के कारण शरणार्थियों को सुरक्षित रूप से एक जगह से दूसरी जगह जाने में भी काफी परेशानी हुई।(भाषा)