10 साल में 65 हजार Cyber Fraud, इंदौर में ही Digital Arrest के 27 केस, तैयार होंगे 5 हजार सायबर कमांडो

नवीन रांगियाल
शनिवार, 5 अक्टूबर 2024 (17:50 IST)
Digital Arrest and cybercrime in the country: मध्‍यप्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर (Indore) की एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर युवती को डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) कर 12 लाख रुपए ठगने का मामला सुलझा ही नहीं था कि इंदौर में ही कैट के एक साइंटिस्‍ट और उनकी पत्‍नी को डिजिटल अरेस्‍ट कर उनसे 71 लाख 33 हजार रुपए अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवा लिए। ठग इतने शातिर थे कि पति-पत्‍नी को उन्‍होंने 6 दिनों तक डिजिटल हाउस अरेस्ट में रखा।

बता दें कि देशभर में सायब्रर फ्रॉड या डिजिटल अरेस्‍ट के मामलों में बेइंतहा इजाफा हुआ है। देश का कोई ऐसा राज्‍य नहीं, जहां सायबर फ्रॉड नहीं हुआ हो। रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में देश में 30 हजार करोड़ रुपए से ज्‍यादा की धोखाधड़ी हुई। पिछले 10 साल में 65 हजार से ज्‍यादा मामले आए जिनमें 4.69 लाख करोड़ रुपयों की ठगी हो चुकी है और ठगी का मीटर अभी चालू है।

इन राज्‍यों से जुड़े तार : अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (क्राइम) राजेश दंडोतिया ने बताया कि इस फ्रॉड के पीछे गिरोह काम कर रहा है। अब तक की जांच में इस गिरोह के 34 बैंक खातों और 1400 सिम कार्ड के बारे में पता चला है। इन सिम कार्ड का इस्तेमाल चार मोबाइल फोन में किए जाने के सुराग मिले हैं। उन्‍होंने बताया कि 8 राज्यों में ठगों के मोबाइल की लोकेशन मिली है। उन्‍होंने बताया कि इंदौर से ठगे गई राशि को कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, गुजरात, मणिपुर, तेलंगाना, बंगाल, दिल्ली, नोएडा, मथुरा, जयपुर, जोधपुर, लखनऊ, मुंबई, ठाणे, सांगरोली, हाथरस और बिलासपुर शहरों के खातों में ट्रांसफर किया गया है।

बेटी को सेक्‍स रैकेट फंसी सुनकर मां की हार्ट अटैक से मौत : आगरा के सरकारी स्‍कूल में टीचर मालती वर्मा क्‍लास ले रही थीं, तभी उनको फोन आया- मैं पुलिस स्‍टेशन से बोल रहा हूं, आपकी बेटी सेक्‍स रैकेट में फंस गई है। अभी वो हिरासत में है, आप 1 लाख रुपए भेज दें तो उसके खिलाफ कोई केस दर्ज होने से रोका जा सकता है। बेटी के सेक्‍स रैकेट में फंसने की बात सुन मालती वर्मा दहशत में आ गई। उन्‍हें हार्ट अटैक आया और मौत हो गई। जबकि मालती की बेटी किसी सेक्‍स रैकेट में नहीं फंसी थी। उन्‍हें 'डिजिटल अरेस्‍ट' करने की कोशिश की गई थी।

ग्‍वालियर में मेडिकल ऑफिसर से 38 लाख ठगे : एक मामला ग्वालियर से आया, जहां डिजिटल ठगों ने एक महिला मेडिकल ऑफिसर सुजाता बापट को ठगा। उनके पति जीवाजी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। ठगों ने महिला डॉक्टर को 22 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) किया। म्यांमार में 60 लोगों की आंख निकालने और एमडीएमए (MDMA Drugs) नामक नशीला पदार्थ भेजने, ह्यूमन ट्रैफिकिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का सीबीआई (CBI) में केस दर्ज होने और उस मामले में गिरफ्तार करने का डर दिखाया और उनसे 10 एफडी (FD) तुड़वाकर 35 लाख और फिर 3 लाख अपने बैंक खातों में ट्रांसफर करवा लिए। ग्वलियर में एक महीने में डिजिटल अरेस्ट की यह दूसरी बड़ी घटना है। इसके पहले शिक्षिका आशा भटनागर से ऐसे ही एफडी तुड़वाकर 51 लाख रुपए ठग लिए थे।

पूरे देश में पसरा सायबर फ्रॉड का नेटवर्क : यह तो सिर्फ ठगी के कुछ उदाहरण हैं। बता दें कि देश का कोई ऐसा राज्‍य नहीं है, जहां सायबर फ्रॉड या डिजिटल अरेस्‍ट के मामले सामने नहीं आ रहे हैं। मध्‍यप्रदेश, राजस्‍थान, छत्‍तीसगढ, हरियाणा, दिल्‍ली, पंजाब, नोएडा, गुडगांव, उत्‍तराखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल समेत देश के कई राज्‍यों में सायबर फ्रॉड पुलिस और राज्‍य  सरकारों के लिए चुनौती बन गया है।

केंद्र सरकार तैयार कर रही सायबर कमांडो : सायबर फ्रॉड के बढते ग्राफ से परेशान केंद्र सरकार ने अब देश में पहली बार साइबर कमांडो तैयार करने की योजना बनाई है। फिलहाल 1000 कमांडो की ट्रेनिंग शुरू भी हो चुकी है। ये कमांडोज डिजिटल अरेस्ट जैसे मामलों में मौके पर पहुंच अपराधी को दबोचने का काम करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया है कि अगले 5 सालों में सरकार 5 हजार साइबर कमांडो तैयार करेगी।

कैसे करते हैं Digital Arrest में : डिजिटल अरेस्ट के दौरान ठग अपने संभावित शिकार के मन में डर पैदा कर देते हैं, और उन्हें भरोसा दिला दिया जाता है कि जो भी उन्हें बताया जा रहा है, वही असलियत है। उनके या उनके किसी परिजन के साथ कुछ बुरा हो चुका है, या होने वाला है, या वह पुलिस, CBI या ED की जांच के घेरे में फंस चुके हैं। बस, इसके बाद 'शिकार' डरकर मान लेता है कि अगर कॉलर का कहना नहीं माना, तो बहुत बुरा होगा, या वह सचमुच गिरफ़्तार हो जाएगा। 
कैसे जानें आप Digital Arrest हो गए हैं?
डिजिटल अरेस्ट के मामलों में संभावित शिकार को फोन कॉल आता है, जिनमें उन्हें बताया जाता है कि वह मनी लॉण्डरिंग के केस में या ड्रग्स के गंभीर केस में शामिल रहे हैं। अगर उन्होंने कॉल कर रहे 'जांच अधिकारी' का कहना नहीं माना तो गिरफ़्तारी और जेल की सज़ा सिर्फ़ वक्त की बात है। डिजिटल अरेस्ट के कुछ मामले तो इंटरनेट कनेक्शन काट देने की मामूली धमकी जैसी कॉल से भी शुरू हो सकते हैं। इसके बाद 'शिकार' के डरना शुरू करते ही कॉलर तेज़ी से पैंतरा बदलकर अपनी चाल चल देता है। 'शिकार' को पुलिस जैसी वर्दी, पुलिस स्टेशन या CBI ऑफ़िस जैसा माहौल (स्टूडियो में बनाकर) और यहां तक कि पहचानपत्र (आईडी कार्ड) दिखाकर ठग के जांच अधिकारी होने का यकीन दिला दिया जाता है। टारगेट को हर वक्त अपना मोबाइल कैमरा और माइक्रोफ़ोन चालू रखने के लिए कहा जाता है और बुरे नतीजे की धमकी दे-देकर उनके भीतर डर बिठा दिया जाता है। उन्हें यह भी कहा जाता है कि जो कुछ भी हो रहा है, उसके बारे में किसी से बात न करें, किसी को भी कुछ न बताएं। जब 'टारगेट' पूरी तरह से डर जाता है और उनके गिरफ्त में आ जाता है और ठग की हर बात मानने लगता है तो डिजिटल ठग बेहद तसल्ली से उनके पास मौजूद पाई-पाई लूट लेते हैं, जो लाखों भी हो सकते हैं, और करोड़ों भी!

Digital Arrest से कैसे बचें? यहां करें शिकायत : नागरिकों को सतर्क रहने और धोखाधड़ी के बारे में जागरूक होना चाहिए। ऐसी कॉल आने पर तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर घटना की रिपोर्ट करनी चाहिए।

भारत बना सायबर क्राइम का सेंटर : ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के शोधकर्ताओं ने इसी साल दुनिया का पहला साइबर क्राइम इंडेक्स जारी किया, जिसमें भारत को सायबर क्राइम का सेंटर बताया गया है। ‘मैपिंग ग्लोबल जियोग्राफी ऑफ साइबर क्राइम विद द वर्ल्ड साइबर क्राइम इंडेक्स' शीर्षक से जारी शोध में विशेषज्ञों ने बताया है कि कहां-कहां साइबर अपराध सबसे ज्यादा हो रहे हैं। इस सूची में 15 देशों के नाम हैं। इनमें रूस, यूक्रेन, चीन, अमेरिका, नाइजीरिया, रोमानिया, नार्थ कोरिया, ब्रिटेन, ब्राजील, भारत शामिल हैं।

देश में 4.69 लाख करोड़ का ठगी


इन 10 देशों में सबसे ज्‍यादा सायबर क्राइम  

  1. भारत : 6.13
  2. रूस : 58.39
  3. यूक्रेन : 36. 44
  4. चीन : 27. 86
  5. अमेरिका : 25.01
  6. नाइजीरिया : 21.28
  7. रोमानिया : 14.83
  8. नार्थ कोरिया : 10.61
  9. ब्रिटेन : 9. 01
  10. ब्राजील : 08. 93
डिजिटल अरेस्ट एक गंभीर समस्या है जिससे सभी को सतर्क रहने की जरूरत है। हम सभी को साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूक होना चाहिए और खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।
यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है। यह कोई कानूनी सलाह नहीं है।

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