14 सितंबर 2007 का दिन भारतीय क्रिकेट के लिए एक सुनहरा दिन था। भारतीय युवा टीम राहुल द्रविड़ की कप्तानी छोड़ने के बाद एक नया अध्याय लिखने के लिए मैदान पर थी सामने था टी-20 विश्वकप का पहला मैच और प्रतिद्वंदी पाकिस्तान।
भारत और पाकिस्तान के बीच ट्वेंटी-20 विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट का महत्वपूर्ण मैच 'टाई' हो गया था। इस मैच का अंत किसी जासूसी उपन्यास की तरह हुआ था, जिसमें किसी को नहीं पता था कि जीत किसकी होगी। आखिरकार भारत ने 'बॉल आउट' में हुए फैसले में जीत दर्ज करके 'गणेश चतुर्थी' का शानदार तोहफा पूरे देशवासियों को दिया था।
पाकिस्तान को जीत के लिए 20 ओवरों में जीत के लिए 142 रनों की आवश्यकता थी, लेकिन निर्धारित ओवरों के पूरा होने पर वह 141 रन ही बना सका था। हालाँकि उसने सिर्फ सात विकेट ही खोए थे।
मैच का फैसला 'बॉल आउट' में हुआ, जिसमें भारत के तीनों गेंदबाजों ने विकेट उड़ाए, जबकि पाक के तीनों गेंदबाज नाकाम रहे। इस तरह यह मैच भारत 3-0 से जीता और सुपर आठ में प्रवेश किया। पाकिस्तान भी ग्रुप 'डी' से सुपर आठ में पहुँचा था।
इसके बाद दोनों टीमें इस टी-20 विश्वकप के फाइनल में भी पहुंची थी। जहां भी भारत ने अंतिम ओवर में पाकिस्तान को 5 रनों से हराया था।
पाकिस्तान की ओर से 4 ओवर में 18 रन देकर 4 विकेट लेने वाले मोहम्मद आसिफ को 'मैन ऑफ द मैच' का पुरस्कार दिया गया था।
भारत की तर्ज पर पाकिस्तान की शुरुआत भी खराब रही थी। उसने 12 रन पर पहला विकेट इमरान नजीर (7) का विकेट खोया था, जिन्हें आरपी सिंह ने बोल्ड कर दिया था, जबकि आठवें ओवर की पहली गेंद पर आगरकर ने सलमान बट्ट (16) को धोनी के दस्तानों में झिलवा दिया था।
पाक ने दूसरा विकेट 44 रन पर खोया था। 47 के स्कोर पर कामरान अकमल (15) युवराज द्वारा रन आउट ले लिए गए थे। इरफान पठान ने अपने पहले ओवर की अंतिम गेंद पर यूनुस खान (2) को बोल्ड करके पाक का चौथा विकेट मैदान के बाहर भेजा था। पाँचवें विकेट के रूप में शोएब मलिक (20) और छठे विकेट के लिए अफरीदी (7) आउट हुए थे। इस मैच के साथ इरफान पठान (20/2) और हरभजनसिंह (32/1) की सफल वापसी हुई थी।
इससे पहले भारत की तरफ से सर्वाधिक 50 रन रॉबिन उथप्पा ने बनाए थे, जबकि कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी 33 रन बनाने में सफल रहे थे। बार-बार हुई बारिश ने खेल को काफी बाधित किया था।
भारत की बेहद दयनीय शुरुआत हुई और मोहम्मद आसिफ ने पहले ओवर की तीसरी गेंद पर गौतम गंभीर को आउट कर दिया था। गेंद बल्ले पर सही नहीं आई और स्ट्रेट में खेलने के प्रयास में गंभीर फालोथ्रू में आसिफ के हाथों लपके गए थे।
आसिफ ने मैच में दूसरी सफलता सहवाग (5) को बोल्ड करके हासिल की थी। आसिफ के खाते में तीसरी सफलता युवराजसिंह (1) के रूप में मिली, जिन्हें सीमा रेखा पर लपका गया था। भारत गहरे दबाव में आ गया था, क्योंकि पाँच ओवर के भीतर ही उसके तीन सितारा बल्लेबाज मैदान से लौट चुके थे।
आसिफ मैच का सातवाँ और खुद का लगातार चौथा ओवर डालने आए और दिनेश कार्तिक (11) को बोल्ड कर गए और अपना चौथा विकेट हासिल किया था। उन्होंने 4 ओवर में 18 रन देकर 4 विकेट हासिल किए थे। 13वें ओवर की पहली गेंद पर रॉबिन उथप्पा 50 रन बनाकर आउट हुए थे। तब भारत का स्कोर 82 रन था।
10वें ओवर में रॉबिन उथप्पा ने यासिर अराफात को 2 छक्के जमाए और कुल 16 रन निकाले थे। इरफान पठान (20) को अफरीदी ने छठे विकेट के रूप में बोल्ड किया था। हालाँकि पठान ने उनके ओवर में लगातार दो छक्के लगाए थे। भारत ने सातवाँ विकेट हरभजन (1) के रूप में खोया था, जिन्हें अफरीदी ने बोल्ड कर दिया था। बाद में धोनी 33 और आगरकर 11 रन बनाकर आउट हुए थे।
कप्तान धोनी ने खिलाड़ियों से पहले ही करा ली थी बॉल आउट की तैयारी
धोनी ने अपनी क्रिकेटिया समझ दिखाई और धीमी गति के गेंदबाजों वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और रॉबिन उथप्पा को बॉल आउट के लिए चुना था। धोनी से जब उनके गेंदबाजों की बॉल आउट में शत-प्रतिशत सफलता के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा था कि यह पिछले दो दिन के कड़े अभ्यास का परिणाम था।
धोनी ने इस बड़े मैच में टीम की जीवटता और जज्बे के लिए प्रशंसा की थी। इसके अलावा वह विश्व कप में पाकिस्तान पर भारत का शत-प्रतिशत रिकॉर्ड बनाए रखने से भी खुश थे।