प्यार में पागल था हनीट्रैप में फंसा कर्मचारी, पाक एजेंट से शेयर की सेना से जुड़ी जानकारी, 5 साल में 35वां मामला
रविवार, 23 अक्टूबर 2022 (10:56 IST)
जयपुर। दिल्ली के सेना भवन में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रवि प्रकाश मीणा को विश्वास नहीं हो पा रहा है कि उसने जिस महिला से प्यार किया, वह पाकिस्तानी एजेंट थी। हनीट्रैप में फंसे 31 वर्षीय मीणा पर सेना से जुड़ी संवेदनशील एवं रणनीतिक जानकारी साझा करने का आरोप है और वह इस समय जेल में है।
मीणा के मामले की जांच से जुड़े एक खुफिया अधिकारी ने बताया कि मीणा फेसबुक के जरिए एक युवती का दोस्त बना और वह उसके प्यार में पागल था।
राजस्थान में करौली जिले के सपोटारा के रहने वाले मीणा को अक्टूबर के पहले सप्ताह में पकड़ा गया था। वह 2017 के बाद से राज्य पुलिस द्वारा इस तरह के मामलों में गिरफ्तार ऐसा 35वां व्यक्ति है, जिसे इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) समेत पाकिस्तानी एजेंट के हनीट्रैप में फंसकर संवेदनशील जानकारी साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
मीणा के मामले से जुड़े अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तानी एजेंट ने खुद को पश्चिम बंगाल में तैनात भारतीय सेना अधिकारी अंजलि तिवारी के रूप में पेश किया। मीणा को गिरफ्तारी के बाद भी और सबूतों को देखकर भी विश्वास नहीं हो रहा था कि वह महिला एक पाकिस्तानी एजेंट थी।
राजस्थान के पुलिस महानिदेशक (खुफिया) उमेश मिश्रा ने 8 अक्टूबर को मीणा की गिरफ्तारी के बाद बताया था कि मीणा महिला के साथ सेना संबंधी गोपनीय और रणनीतिक जानकारी साझा कर रहा था।
मिश्रा ने बताया था कि महिला एजेंट ने मीणा को अपने मोहपाश में फंसाकर और धनराशि का प्रलोभन देकर सामरिक महत्व के तहत वर्गीकृत दस्तावेज मांगे थे और आरोपी ने ये दस्तावेज सोशल मीडिया के माध्यम से पाकिस्तानी एजेंट को मुहैया कराए और बदले में उसके बैंक खाते में धन राशि डाली गई।
5 साल में 35 मामले : राजस्थान पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, इस तरह के मामलों में 2017 के बाद से अब तक आम नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों सहित 35 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें से 2017 में 6, 2019 में 5, 2020 में 5, 2021 में 8 और इस साल अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए 35 लोगों के खिलाफ 2017 से अब तक कुल 26 मामले दर्ज किए गए हैं। इन गिरफ्तार लोगों में 10 सुरक्षाकर्मी और 25 नागरिक हैं। पहले हनीट्रैप करके और फिर पैसे देकर संवेदनशील जानकारी हासिल करने का चलन 2019 से पाकिस्तानी एजेंट का पसंदीदा तरीका बन गया है।
हनीट्रेप में फंसे लेफ्टिनेंट कर्नल की कहानी : इस साल की शुरुआत में, जोधपुर में सेना की एक इकाई में तैनात उत्तराखंड के मूल निवासी 24 वर्षीय प्रदीप कुमार को रिया नाम की एक महिला पाकिस्तानी एजेंट ने हनीट्रैप में फंसाया था। इस मामले से जुड़े एक अन्य खुफिया अधिकारी ने बताया कि कुमार को मई में गिरफ्तार किया गया था और महिला एजेंट ने उसे बताया था कि वह बेंगलुरु के सैन्य अस्पताल में तैनात एक लेफ्टिनेंट कर्नल है।
अधिकारी ने कहा कि वह रिया से शादी करना चाहता था। उसने वीडियो कॉल के जरिए कुमार को अपने परिवार से मिलवाया था और उसने उसकी बहन से बात की थी। महिला एजेंट ने कुमार को काम पर उसकी दिनचर्या के बारे में बताया था और सहकर्मियों के साथ लड़ाई और बहस आदि की भी चर्चा की थी। कुमार ने उसके साथ सहानुभूति रखते हुए उसे ड्राफ्ट और दस्तावेज तैयार करने में मदद करनी शुरू की। बाद में कुमार ने उसे दस्तावेजों और सैन्य इकाइयों की तस्वीरें भेजना शुरू कर दिया।
अपनी गिरफ्तारी के चार दिन के बाद भी और अपराध के बारे में जानकारी दिए जाने के बाद भी कुमार को विश्वास नहीं हो रहा था कि वह जिस महिला से प्यार करता है, वह उसके साथ ऐसा कर सकती है।'
अधिकारी ने कहा कि कुमार के मामले में एजेंट ने उस सैन्य इकाई के उसके 10 दोस्तों से भी बातचीत की, जिसमें वह तैनात था, लेकिन उसे कोई जानकारी नहीं मिली। सभी मामलों में काम करने का तरीका समान है। उन्होंने कहा कि एजेंट या तो मिस्ड कॉल देते हैं और फिर व्यक्ति द्वारा फोन किए जाने के बाद बातचीत करते हैं या सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क करते हैं। इसके बाद हनी ट्रैपिंग की प्रक्रिया में वे वीडियो और वॉयस चैट के माध्यम से जुड़ते हैं, भावनात्मक रूप से करीब आते हैं, पीड़ितों को बहकाने के लिए नग्न क्लिप और तस्वीरें साझा करते हैं और फिर सोशल मीडिया के माध्यम से गोपनीय जानकारी एवं दस्तावेज हासिल करते हैं।
राजस्थान के मूल निवासियों - भीलवाड़ा के 27 वर्षीय नारायण लाल गाडरी और जयपुर के 24 वर्षीय कुलदीप सिंह शेखावत को जुलाई में गिरफ्तार किया गया था।
अधिकारी ने बताया कि नारायण को भारतीय दूरसंचार कंपनियों के सिम कार्ड मुहैया कराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तानी तत्व सोशल मीडिया अकाउंट चलाने के लिए करते थे। उसने सिम को माउंट आबू भेजा था, जहां से उसे दिल्ली, मुंबई और दुबई भेजा गया। हर सिम के लिए उसे 3,000-5,000 रुपए दिए जाते थे।