आने वाले कुछ महीनों में प्रधानमंत्री सऊदी अरब एवं इसराइल की यात्रा तो करेंगे ही, पर ईरान पर भी उनकी नजर बनी रहेगी। ऐसे में भारतीय कूटनीति की हर कदम पर परीक्षा होगी। भारत के पक्ष में केवल एक ही बात है कि यह अपनी मित्रता के बल पर तीनों राष्ट्रों पर, एक टेबल पर वार्ता करने का मित्रवत एवं स्वार्थरहित दबाव डाल सकता है। अन्य किसी महाशक्ति की बात ये देश सुनने वाले नहीं, क्योंकि उन सभी के स्वार्थ इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।