ऐसे होता है उपराष्‍ट्रपति का चुनाव और ये है काउंटिंग की प्रक्रिया

WD Feature Desk

मंगलवार, 22 जुलाई 2025 (17:31 IST)
Vice President Election Process: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सोमवार शाम को अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा। उनके इस अचानक कदम के बाद अब देशभर में ये सवाल उठने लगे हैं कि अब अगला उपराष्ट्रपति कौन बनेगा, उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है, कौन करता है मतदान और वोटों की गिनती (काउंटिंग प्रक्रिया) किस तरह से होती है?
 
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद केवल औपचारिक नहीं होते, बल्कि इनकी भूमिका देश की राजनीतिक और संसदीय व्यवस्था में बेहद अहम होती है। खासकर उपराष्ट्रपति, जो राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, उनका चुनाव केवल एक पद की पूर्ति नहीं, बल्कि देश के लोकतांत्रिक तंत्र की परिपक्वता का संकेत भी होता है। इसलिए यह जानना बेहद जरूरी है कि “उपराष्ट्रपति का चुनाव आखिर कैसे होता है?” या “मतगणना (काउंटिंग) की प्रक्रिया क्या होती है?” इस लेख में इस पूरी प्रक्रिया के बारे में आसान भाषा में समझिए। 
 
उपराष्ट्रपति का चुनाव कौन कराता है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों द्वारा किया जाता है। यह चुनाव प्रोपोरशनल प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote) से होता है। इस प्रक्रिया में, सांसद उम्मीदवारों को अपनी पसंद के क्रम में रैंक करते हैं, यानी वे पहली पसंद, दूसरी पसंद, तीसरी पसंद आदि के तौर पर वोट देते हैं। इसका मतलब है कि वोट सिर्फ एक उम्मीदवार को नहीं दिया जाता, बल्कि पसंद के क्रम के अनुसार कई विकल्प चुने जाते हैं, जिससे चुनाव अधिक निष्पक्ष और प्रतिनिधित्वात्मक बन सके।
 
कैसे होती है वोटिंग की प्रक्रिया?
उपराष्ट्रपति चुनाव में गोपनीय मतदान (secret ballot) के जरिए वोटिंग की जाती है। वोटिंग प्रो-रॉटा (proportional representation) के आधार पर होती है और इसमें एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (single transferable vote system) का उपयोग किया जाता है। मतदाता को एक मतपत्र (ballot paper) मिलता है जिसमें सभी उम्मीदवारों के नाम होते हैं। सांसद अपने मतपत्र पर अपनी प्राथमिकता (preference) अंकित करते हैं, यानी जिसे वह पहले पसंद करते हैं, उसे “1”, फिर “2”, “3” आदि।
 
उदाहरण:
अगर तीन उम्मीदवार हैं A, B, और C – और किसी सांसद को A सबसे पसंद है, तो वह A को “1”, B को “2” और C को “3” देंगे। इस प्रक्रिया में मतदाता अपनी प्राथमिकताओं के क्रम में मतदान करता है।
 
काउंटिंग की प्रक्रिया (Counting Process) कैसे होती है?
गिनती एक विशेष तरीके से होती है जिसे हम “स्थानांतरणीय मत प्रणाली (Transferable Vote System)” कहते हैं। सबसे पहले, सिर्फ पहले नंबर की प्राथमिकता (यानि “1”) वाले वोटों की गिनती होती है। यदि कोई उम्मीदवार कुल वैध वोटों का 50% से अधिक हासिल कर लेता है, तो वही प्रत्यक्ष रूप से उपराष्ट्रपति चुन लिया जाता है।
 
यदि कोई उम्मीदवार 50% से ज्यादा वोट नहीं पा पाता, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को रेस से बाहर कर दिया जाता है, और उसके वोट दूसरी प्राथमिकता वाले उम्मीदवारों को स्थानांतरित कर दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है, जब तक कोई उम्मीदवार 50% से ज्यादा वोट प्राप्त नहीं कर लेता। यह सिस्टम इसीलिए रखा गया है ताकि अधिकतम सांसदों की इच्छा का सम्मान हो और उपराष्ट्रपति सही बहुमत से चुना जा सके।
 
उपराष्ट्रपति बनने के लिए योग्यता
भारत का उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सबसे ऊंचा संवैधानिक पद होता है, जिसका कार्यकाल पांच साल का निर्धारित है। इस पद के लिए कुछ अनिवार्य योग्यताएं होती हैं, जिनका पालन हर उम्मीदवार को करना होता है। सबसे पहले, उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए। साथ ही उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष पूरी होनी चाहिए। इसके अलावा, वह व्यक्ति ऐसा होना चाहिए जो राज्यसभा का सदस्य बनने की पात्रता रखता हो। एक और जरूरी शर्त यह है कि उम्मीदवार भारत सरकार, राज्य सरकार या किसी भी स्थानीय स्वशासी संस्था के अधीन किसी लाभ के पद पर कार्यरत न हो। इन सभी मापदंडों को पूरा करने के बाद ही कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ सकता है। 


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