एनकाउंटर स्पेशलिस्ट योगी सरकार

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- संजय सक्सेना, लखनऊ 
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपराधों पर नियंत्रण के लिए पुराना हथकंडा अख्तियार कर लिया है। एक दौर था, जब नाक में दम करने वाले बदमाशों को पुलिस गिरफ्तार करके कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाने की बजाए मुठभेड़ में मार गिराया करती थी। इसके कई फायदे होते थे। अपराधियों में भय व्याप्त होता था तो पुलिस का इकबाल ऊंचा होता। पुलिस इस बात से भी मुक्त हो जाती थी कि जमानत से छूटने के बाद यह बदमाश फिर से जनता के बीच खौफ का माहौल पैदा करेंगे। 
होता यह था, पुलिस किसी बदमाश को घेरकर आत्मसमर्पण करने का मौका देने की बजाए उसे मुठभेड़ में मौत के घाट उतार दिया करती थी। बात यहीं तक सीमित नहीं होती थी, पुलिस अगर किसी बदमाश से त्रस्त हो जाती थी तो उसको गिरफ्तार करने के बाद किसी सुनसान इलाके या जंगल में ले जाकर मार गिराती थी। उसके हाथ में तमंचा या अन्य कोई हथियार थमाकर यह साबित कर देती  थी कि बदमाश पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। इसको लेकर कई बार बवाल भी होता। मानवाधिकार वाले हो-हल्ला मचाते तो न्यायपालिका को भी यह तरीका रास नहीं आता था। 
 
असल में पुलिस कई बार मुठभेड़ के नाम पर निर्दोष लोगों को भी मौत के घाट उतार देती थी। फर्जी मुठभेड़ के चलते कई बार खाकी वर्दी वालों को सजा तक भुगतनी पड़ती थी। इसके बाद बदमाशों को मुठभेड़ में मार गिराने का सिलसिला एक तरह से थम ही गया। इसका कारण था आम जीवन में संचार क्रांति का बढ़ता प्रभाव। पुलिस मुठभेड़ जैसी कोई कार्रवाई करती तो कई बार लोग उसका वीडियो बना लेते थे। यह वीडियो न्यूज चैनलों में चलने लगते तो पुलिस को बचाव करना मुश्किल हो जाता। सरकार की भी किरकिरी होती। इसका दुष्प्रभाव यह हुआ कि बदमाशों में पुलिस का भय जाता रहा। 
 
पुलिस अपराधियों को पकड़कर जेल भेजती तो कानून की खामियों का फायदा उठाकर यह अपराधी जमानत पर छूटकर बाहर आ जाते। इसके चलते बदमाशों के खिलाफ पुलिस को कोई गवाही तक देने को तैयार नहीं होता था। एक तरह से एनकाउंटर पर ब्रेक ही लगा दिया गया, लेकिन आज योगी सरकार की गिनती एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में हो रही है। एनकाउंटर योगी सरकार का अचूक हथियार बन गया है।
    
अब ऐसा नहीं है। योगी राज में कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए सरकार के इशारे पर पुलिस एनकाउंटर कर अपराधियों में खौफ पैदा करने लगी है। इसका नतीजा यह हुआ कि 20 मार्च 2017 से 14 सितंबर 2017 के बीच 420 मुठभेड़ हुईं और जिसमें कई इनामी बदमाशों को मौत की नींद सुला दिया गया। पुलिस की इस कार्रवाई से अपराधियों में दहशत फैल गई है। 
 
पुलिस सूत्रों के अनुसार, अब तक 17 खूंखार बदमाशों को पुलिस मार गिरा चुकी है। छह माह में 1104 बदमाशों को गिरफ्तार किया गया तो पुलिस की गोली से 86 बदमाश घायल हुए। मुठभेड़ों में करीब 90 पुलिसकर्मी भी गोली लगने से घायल हुए हैं, जबकि एक दरोगा जयप्रकाश चित्रकूट में शहीद हो गया। बदमाशों को सबक सिखाने के इस अभियान में 868 इनामी बदमाशों को गिरफ्तार किया गया है। 54 अपराधियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया गया तथा 69 बदमाशों की अवैध संपत्तियां जब्त की गई हैं।
      
गौरतलब हो, प्रदेश में बढ़ते अपराध ने आम जनमानस का जीना दुश्वार कर रखा था। अखिलेश सरकार अगर चुनाव हारी तो इसकी बढ़ी वजह प्रदेश की बदहाल कानून व्यवस्था ही थी। अखिलेश से पहले भी कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन एनकाउंटर की छूट नहीं दी गई। नतीजा यह हुआ कि तमाम सरकारों के बीच अपराधियों का हौसला बढ़ता ही गया। इस वर्ष के शुरुआत में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी ने राज्य की बिगड़ी कानून व्यवस्था को बढ़ा मुद्दा बनाया था। 14 साल बाद सूबे में भाजपा की सरकार आ गई। तो सीएम योगी से यह अपेक्षा भी की गई कि वह बिगड़ी कानून पर नियंत्रण लगाएंगे, लेकिन शुरुआत के तीन-चार महीनों तक स्थिति में कोई बदलाव नहीं दिखा तो योगी सरकार ने नया रास्ता खोजा। अपराधों पर नियंत्रण के लिए पुलिस को एनकाउंटर की छूट मिलते ही प्रदेश में अपराध का ग्राफ गिरने लगा।
   
योगी सरकार में बीते दो महीने में पुलिस ने प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कई कुख्यात अपराधियों को एनकाउंटर में मार गिराया। एनकाउंटर होते ही प्रदेशभर में सक्रिय कई गैंग दुबक गए। राजधानी लखनऊ तक में बदमाशों को मुठभेड़ में मार गिराया गया। पुलिस ने सितंबर के महीने में लखनऊ में ताबड़तोड़ एनकाउंटर किए। इसमें एक बदमाश को जिंदा पकड़ा गया, जबकि दूसरे को मार गिराया गया। 
 
डकैती और गैंगरेप के आरोपी 50 हजार के इनामी डकैत उदयराज को लखनऊ पुलिस ने सरोजनीनगर थाना क्षेत्र में एक मुठभेड़ में पकड़ा था। उदयराज पुलिस की गोली से घायल हो गया था जिसके बाद उसे जिंदा पकड़कर अस्पताल में भर्ती कराया गया। एनकाउंटर में बदमाश ने पुलिस पर भी फायरिंग की थी, लेकिन बुलेटप्रूफ जैकेट पहने होने की वजह से पुलिस के दो दरोगा की जान बची थी। वहीं राजधानी पुलिस ने सुपारी किलर सुनील शर्मा को एनकाउंटर में गोमतीनगर विस्तार में मार गिराया। सुनील शर्मा पुलिस हिरासत से फरार हो गया था।
   
इसी प्रकार 24 अगस्त को चित्रकूट की बीहड़ों में पुलिस ने 7 लाख के इनामी बदमाश बबली कोल और उसके साथियों को घेर लिया। एनकाउंटर में बबली कोल पुलिस की गोली लगने से घायल हो गया, जबकि उसके करीबी लवलेश कोल की मौत हो गई थी। इस एनकाउंटर में एक इंस्पेक्टर जेपी सिंह भी शहीद हुए थे। हालांकि तीन दिनों तक चली इस मुठभेड़ में बबली कोल को पकड़ा नहीं जा सका। 16 अगस्त को भी मुजफ्फरनगर में पुलिस ने एनकाउंटर में 50 हजार के इनामी बदमाश बुलंदशहर निवासी नितीन को दबोचा था। नितीन पुलिस की गोली से घायल हुआ था, जबकि उसका साथी सोनू भागने में कामयाब हो गया था।
   
गत 14 जुलाई को मुजफ्फरनगर में कार सवार 5 बदमाशों से पुलिस की मुठभेड़ हो गई। पुलिस ने भी घेराबंदी कर ली, पुलिस और बदमाशों की तरफ से करीब तीन घंटे तक गोलीबारी होती रही। इस एनकाउंटर में पुलिस की गोली लगने से दो बदमाश घायल हुए थे जिन्हें दबोच लिया गया था, जबकि तीन बदमाश भागने में कामयाब हो गए थे। 29 जुलाई को शामली में पुलिस ने एनकाउंटर में 60 हजार के इनामी बदमाश डैनी और उसके साथी 12 हजार के इनामी बदमाश सरवन को मार गिराया था।
   
अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में नोएडा के थाना कासना क्षेत्र के चाई 4 सेक्टर के पास पुलिस-बदमाशों के बीच मुठभेड़ में 50 हजार का इनामी बदमाश मारा गया। इसके तीन साथी मौके से फरार हो गए। उनकी गिरफ्तारी पर भी 50- 50 हजार का इनाम घोषित है। मुठभेड़ में दरोगा सतीश गंभीर रूप से जख्मी हो गए। 
   
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शामली जिले के कैराना क्षेत्र में 28 जुलाई की सुबह पुलिस ने दो इनामी बदमाशों को ढेर कर दिया था। इस मुठभेड़ में झिंझाना के थाना प्रभारी समेत पांच पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। बताया जाता है कि पुलिस को सूचना मिली थी कि कैराना इलाके के भूरा गांव में किसी वारदात को अंजाम देने के लिए उसी गांव के बदमाश नौशाद उर्फ डैनी और सरवर आए हुए हैं। सूचना पर कई थानों की पुलिस और अपराध शाखा की टीम ने बदमाशों को घेर लिया। इसके बाद बदमाशों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। दोनों तरफ से हुई फायरिंग में दोनों बदमाशों को मार गिराया गया। इसके अलावा भी तमाम मुठभेड़ की घटनाएं हुईं।
     
हाल ही में यूपी सरकार की ओर से भी पुलिस और बदमाशों के बीच हुए मुठभेड़ का आंकड़ा जारी किया गया है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले छह महीने में 15 कुख्यात अपराधियों को ढेर किया गया। यह आंकड़ा 20 मार्च 2017 से 14 सितंबर 2017 के बीच का है। इस आंकड़े के अनुसार, पुलिस ने कुल 420 एनकाउंटर किए, जबकि 1106 अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। पुलिस के एनकाउंटर में ढेर होने वालों में कई मोस्ट वांटेड अपराधी भी थे, जिन पर पर पुलिस ने इनाम घोषित किया हुआ था। साथ ही कई ऐसे अपराधी भी थे जिन पर एनएसए और गैंगस्टर एक्ट लगा हुआ था।
 
बदमाशों से मुठभेड़ में पिछले छह महीने के अंदर 88 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। पुलिस मुठभेड़ में कुल 15 अपराधियों को पुलिस ने मार गिराया, जबकि इन एनकाउंटर में 84 अपराधी घायल हुए। आंकड़ों पर एक नजर डालें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में सबसे ज्यादा एनकाउंटर किए गए। अकेले मेरठ में 193 एनकाउंटर किए गए, जबकि लखनऊ में कुल 7 मुठभेड़ हुईं। वहीं यूपी पुलिस ने जिन 1106 अपराधियों को गिरफ्तार किया, उसमें से 868 अपराधी ऐसे थे, जिन पर पुलिस ने इनाम भी घोषित किया हुआ था। 
     
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहक्षेत्र गोरखपुर से 13 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। उन्हीं अपराधियों के साथ पुलिस की दो मुठभेड़ भी हुई हैं। अलग-अलग एनकाउंटर में मारे गए अपराधियों में मोस्ट वांटेड सुनील शर्मा जयहिंद यादव रामजी सुजीत सिंह कासिम जैसे खूंखार अपराधी शामिल थे।

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